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________________ बनारसीदासकी यह अवस्था सं०. १६९२ तक रही और तब तक वे नियत-रसपान करते रहे, अर्थात् केवल निश्चय नयको पकड़े हुए जीवन बिताते रहे। इसके बाद सं० १६९२ के लगभग पांडे रूपचन्द नामके एक गुनी कहीं बाहरसे आगरे आये और तिहुना साहुने जो देहरा (मन्दिर) बनवाया था, उसमें आकर ठहरे। उनके पाण्डित्यकी प्रशंसा सुनकर सब अध्यात्मी जाकर मिले और उनसे गोम्मटसार ग्रन्थ पढ़वाया। उसमें गुणस्थानोंके अनुसार ज्ञान और क्रिया (चारित्र) का विचार किया गया है । जो जीव जिस गुणस्थानमें होता है, उसीके अनुसार उसका चारित्र होता है । उन्होंने भीतरी निश्चय और बाहरी व्यवहारका भिन्न भिन्न विवरण दिया, सब बातोंको सब प्रकारसे समझा दिया और तब फिर अपने साथियों के साथ बनारसीदासजीको भी कोई संशय नहीं रह गया। वे अब स्याद्वादपरिणतिमें परिणत होकर दूसरे ही हो गये।-" तब बनारसी और भयौ, स्यादवादपरनति परनयौ।" __ यद्यपि पाण्डे रूपचन्दजी दिगम्बर सम्प्रदायके थे और गोम्मटसार भी उसी सम्प्रदायका ग्रन्थ है जिसके श्रवणसे वे निश्चय व्यवहारको ठीक ठीक समझे, फिर भी उनका और उनके साथी अध्यात्मियोंको दिगम्बर नहीं कहा जा सकता। बनारसीदासजीने अर्ध-कथानकमें अपने सारे जीवनकी घटनाओंका ब्योरेवार इतिहास दिया है, पर उसमें उन्होंने कहीं भी अपने सम्प्रदायका उल्लेख नहीं किया और न कहीं यही लिखा है कि कभी अपना सम्प्रदाय बदला। उन्होंने आपको और अपने साथियोंको अध्यातमी ही लिखा है, साथ ही जैनधर्मकी दृढ़ प्रेतीति और हृदयमें शुद्ध सम्यक्त्वकी टेक रखनेवाला कहा है। उस समय आगरेमें अध्यात्मियोंकी एक सैली या गोष्ठी थी जिसमें अध्यात्मकी चर्चा होती थी। इन अध्यात्मियोंकी प्रेरणासे ही उन्होंने नाटक समयसारको छन्दोबद्ध किया था। उसके अन्तमें लिखा है कि समयसार नाटकका मर्म समझनेवाले जिनधर्मी पांडे राजमलजीने उसको बालबोध टीका बनाकर सुगम कर १-बानारसी बिहोलिआ अध्यातमी रसाल।-६७१ २-जैन धरमकी दिढ परतीति । ३-हृदय सुद्ध समकितकी टेक । ४-पांडे राजमल्ल जिनधरमी, समैसार नाटकके मरमी। तिन गिरंथकी टीका कीनी, बालाबोध सुगम कर दीनी ॥ २३ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001851
Book TitleArddha Kathanak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBanarasidas
PublisherAkhil Bharatiya Jain Yuva Federation
Publication Year1987
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Biography
File Size13 MB
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