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________________ बहम और अन्धविश्वास बहमों और अन्धविश्वासोंकी उस समय भी कमी नहीं थी, सर्वसाधारणके समान जैन समाज भी उससे मुक्त नहीं था और न दूसरोंसे किसी तरह अलग ही था। रोहतककी कोई सतीदेवी उन दिनों बहुत प्रसिद्ध थी। दूरदूरके लोग मानता के लिए जाते थे। बनारसीके पिता खरगसेन अपनी पत्नीसहित दो बार उसकी यात्राके लिए गये और एक बार तो रास्तेमें लुट भी गये, तो भी उनकी माताको सोलह आने विश्वास रहा कि बनारसीदासका जन्म उक्त सतीके ही प्रसादसे हुआ है । उधर बनारसमें पार्श्वनाथके यक्षने पुजारीको प्रत्यक्ष दर्शन देकर कहा था कि इस बालकका नाम पार्श्वजन्मस्थान ( बनारसी) के नामपर रख देनेसे फिर इसके लिए कोई चिन्ता न रहेगी और यह चिरजीवी होगा और तदनुसार मातापिताने इनका नाम बनारसीदास रख दिया। ___ अपनी पूर्वावस्थामें स्वयं बनारसीदास भी इस तरहके बहमोंके शिकार हुए थे। जैन होते हुए भी एक जोगीके कहनेसे एक साल तक सदाशिवके शंखकी पूजा करते रहे और संन्यासीके दिये हुए मन्त्रका जाप उन्होंने इस आशासे लगातार एक साल तक पाखानेमें बैठकर किया कि जाप पूरा होनेपर हररोज दरवाजेपर एक दीनार पड़ा हुआ मिला करेगा ! आगरेसे अपने दो मित्रोंके साथ पूजा करनेके लिए दे कोल ( अलीगढ़) गये और प्रतिमाके आगे खड़े होकर बोले, 'हे नाथ हमको लक्ष्मी दो, यदि लक्ष्मी दोगे, तो हम फिर तुम्हारी जात्रा करेंगे।" अर्थात् जिनदेव भी प्रसन्न होकर लक्ष्मी देते थे ! विद्या-शिक्षा और प्रतिभा बनारसीदास जब आठ बरसके हुए तब चटशालामें जाने लगे और पांडे गुरुसे विद्या सीखने लगे। इस विद्यामें अक्षरज्ञान और लेखा ( गणित ) मुख्य जान पड़ता है। एक वर्षमें ही व्युत्पन्न हो गये। उनके पिता खरगसेन भी इसी उम्र में चटशाला में पढ़ने गये । उस समय शिक्षाकी क्या व्यवस्था थी, इसका तो ठीक पता नहीं, परन्तु ऐसा जान पड़ता है कि प्रत्येक नगरमें चटशाला या छात्रशाला रहा करती थी और उसमें पाँडे गुरु जीवनोपयोगी लिखने पढ़ने और लेखे-जोखेकी शिक्षा दिया करते थे। व्यापारियों के लड़के इस शिक्षणसे इतने व्युत्पन्न हो जाते थे कि अपना कारबार भली भाँति सँभाल लेते थे। For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001851
Book TitleArddha Kathanak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBanarasidas
PublisherAkhil Bharatiya Jain Yuva Federation
Publication Year1987
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Biography
File Size13 MB
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