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________________ 134 नं. 9 के सम्यक्चारित्र यंत्रपर लिखा है - " संवत् 1709 फागुन वदी 7 मूल० भट्टारक नरेन्द्रकीर्तिस्तदा अग्रवालगोयलगोत्रे सं० तेजसाउदयकरणाभ्यां गिरिनारे प्रतिष्ठापितं / " नं० 12 के ह्रींकार यंत्रपर लिखा है " संवत् 1716 वर्षे चैत्रवदी 4 सोमे श्री मूलसंघे नन्द्याम्नाये बलात्कारगणे सरस्वतीगच्छे कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक 108 श्रीनरेन्द्रकीर्तिस्तदाम्नाये अग्रवालान्वये गगंगोत्रे नन्दरामपुत्रसंघाधिपतिजगसिंहेन अम्बावत्यां... इनके अनुसार सं० 1709 और 1 16 में नरेन्द्रकीर्ति भट्टारकका अस्तित्व स्पष्ट होता है और 'अम्बावत्यां' से यह भी कि वे आमेरकी गद्दीके भट्टारक थे / आमेरका ही नाम अम्बाती है। __महाराजा जयसि के मुख्य मन्त्री मोहनदास भौंसाने जयपुरको पुरानी राजधानी अम्बावती या आमेर में संवत् 1714 में एक विशाल जैनमन्दिर निर्माण कराया था और 1716 में उसपर सुवर्णकलश चढ़वाया था। इसके दो शिलालेख मिले हैं, उनमें उन्हें नरेन्द्रकीर्ति भट्टारककी आम्नायका लिखा है और यह भी कि 'भट्टारकश्रीनरेन्द्रकी युपदेशात् ' बनवाया। पं० बखतरामजीने लिखा है कि अमग भौंसाको राजाका एक मन्त्री मिल गया, उसने एक नया मन्दिर भी बनवा दिया, और तेरापन्थको बढ़ाया, सो शायद यही मन्त्री मोहनदास भौसा होंगे। १-ये शिलालेख अब जयपुर म्यूजियममें हैं और मन्दिर आमेर में टूटीफूटी हालतमें पड़ा है / शिलालेख पं० भवरलालजी न्यायतीर्थने वीरवाणी, वर्ष 1 अंक 3 में प्रकाशित कर दिये हैं / Jain Education International For Private & Personal Use Only - www.jainelibrary.org
SR No.001851
Book TitleArddha Kathanak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBanarasidas
PublisherAkhil Bharatiya Jain Yuva Federation
Publication Year1987
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Biography
File Size13 MB
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