________________ 128 मुग्धावती, मृगावती, मधुमालती और प्रेमावती / पद्मावतका रचनाकाल वि. सं. 1595 है। उसमान कविकी चित्रावलीमें भी जो वि० सं० 1670 की रचना है- मधुमालतीका उल्लेख है / .. चतुर्भुजदास निगमकी बनाई हुई 'मधुमालती' नामकी एक पुस्तक और भी है जिसकी एक अशुद्ध प्रति अभी कुछ समय पहले मुझे बम्बईके अनन्तनाथजीके मन्दिरमें देखनेको मिली२ / इसकी रचना 796 दोहा-चौपाइयोंमें हुई है। यह भी एक प्रेमकथा है परंतु इसमें राजनीतिकी चरचा अधिक है। इसकी प्रशंसामें करिने लिखा है। बनसपतीमैं अंब फल, रस मैं......संत / कथामाहिं मधुमालती, छै रितमाहिं वसंत // 81 // लतामाहिं पंनग लता,......धनसार / कथामाहिं मधुमालती, आभूषणमै हार // 82 // निगमकी इस मधुमालतीकी प्रतिका लिपिकाल सं० 1798 है / - - - - १०-छत्तीस पौन और कुरी अर्धकथानक (पद्य 29) में जौनपुर में बसनेवाली जिन 36 जातियोंके नाम दिये हैं और जिन्हें छत्तीस पउनियाँ कहा है, वे शूद्र गिनी जानेवाली पेशेवर जातियाँ हैं / पदमावतमें जायसीने भी छत्तीस कुरी बतलाई हैं, पर वे केवल शूद्रोंकी ही जातियाँ नहीं हैं, उनमें ब्राह्मण, अग्रवाल, वैर., चंदेले, चौहान आदि ऊँची जातियाँ हैं और कोरी, सुनार, कलवार, कायस्थ, पटुवा, बरई आदि शूद्र जातियाँ भी भै भहान पदुमावति चली / छत्तीस कुरी भै गोहने भली // 1 भै कोरी संग पहिरि पटोरा / बाँभनि ठाउँ महस अंग मोरा / / 2 अगरवारिनि गज गवन करेई / बैसनि. पाव हंसगति देई / / 3 चंदेलिनि ठवकन्ह पगु ढारा / चली चौहानी होइ झनकारा || 4 १-डा. वासुदेवशरणने मधुमालतीका समय ई० स० 1545 बतलाया है। २-इसका समय सोलहवीं सदी है / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org