________________ 124 खजाना बिहारके खालिसेमेंसे तहसील करके जमा किया था, वह भी उससे ले लिया। इससे जाना जाता है कि शाह सलीमने जो लालाबेगको जौनपुर दिया था, उसे नूरम सुलतान लेने नहीं देता होगा, जिसपर शाह सलीम शिकारका बहाना करके गया था, फिर नूरमबेगके हाजिर होनेपर लालाबेगको वहाँ रख आया होगा। ८-गाँठका रोग या मरी (प्लेग) वि० सं० 1673 में आगरेमें गाँठका रोग फैलनेका अर्धकथानक (57276 ) में जिक्र किया गया है, उसके सम्बन्धमें नीचे लिखे प्रमाण और मिले हैं__१ - जहाँगीरनामेमें बादशाह जहाँगीरने अपने चौदहवें वर्षके विवरणमें लिखा है, “वैशाख वदी 1 मंगलवार सं० 1675 की रातको बादशाहने अहमदाबादकी ओर बाग फेरी / गर्मी की तेजी और हवाके बिगड़ जानेसे लोगोंको बहुत कष्ट होने लगा था, इसलिए राजधानीको जानेका विचार छोड़कर अहमदाबादमें रहना स्थिर किया। क्योंकि गुजरातकी बरसातकी बहुत प्रशंसा सुनी थी / अहमदाबादकी भी बहुत बड़ाई होती थी। उसी समय यह भी खबर आई कि आगरेमें फिर मरी फैल गई है और बहुतसे जादमी मर रहे हैं। इससे आगरे न जानेका विचार और भी स्थिर हो गया। __ ज्योतिषियोंने माघ सुदी 2 सं० 1675 को राजधानीमें प्रवेश करनेका मुहूर्त निकाला था। परन्तु इन दिनों शुभचिन्तकोंने अनेक बार प्रार्थना की कि ताऊनका रोग आगरेमें फैला हुआ है / एक दिनमें न्यूनाधिक 100 मनुष्य काँख तथा जाँधके जोड़ या गलफड़े में गिलटी उठकर मरते हैं। यह तीसरा वर्ष है / जाड़े में यह रोग प्रबल हो जाता है और गर्मी में जाता रहता है / अजब बात यह है कि इन तीन वर्षों में आगरेके सब गाँवों और कसबोंमें तो फैल चुका है परंतु पतहपुरमें बिलकुल नहीं पहुँचा / अमनाबादसे फतहपुर ढाई कोस है, जहाँके मनुष्य मरीके डरसे घरबार छोड़कर दूसरे गाँवोंमें चले गये हैं। इस Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org