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________________ ५-जौनपुरके बादशाह बनारसीदासजीने अपने पुरखोंसे सुनसुनाकर जौनपुरके नौ बादशाहों के नाम लिखे हैं / महापंडित राहुल सांकृत्यायनने लिखा है कि मुहम्मद तुगलकका ही दूसरा नाम जौनाशाह था और उसोके नामसे यह शहर बसाया गया / हो सकता है कि गोमतीके किनारे पहले भी कोई नगर रहा हो जिसका नाम मालूम नहीं / मुन्शी देवीप्रसादजीने फारसी तवारीखों के आधारसे लिखा है कि मुहम्मद तुगलकके कोई बेटा नहीं था, इसलिए उसके काका सालार रज्जबका वेटा फीरोज शाह बारुचक बादशाह हुआ। इसने सं० 1929 में बंगालसे लौटते हए गोमतीके तीर पर एक अच्छी समचौरस जमीन देखकर यह शहर बसाया और उसका नाम अपने चचेरे भाई मुहम्मद तुगलकके असली नाम मलक जौनाके नामसे जौनपुर रखा, क्योंकि उसने स्वप्नमें मलिक जौनाको यह कहते हुए सुना था कि दाइका नाम मेरे नामपर रखना / दूसरे बादशाहका नाम बनारसीदासने दबकर शाइ लिखा है, वह फिरोजशाह बारबुक है / तोसरा जो सुरहर सुलान लिखा है वह ख्वाजानहाँ है जिसका नाम मलिक सरबर था / सरबर ही सुरहर हो गया है। चौथा जो दोस मुहम्मद लिखा है वह मुबारिक शाह है निभाता नाम करनफल था। शायद जोनपुरवाल उसे दोस्त मुहम्मद कहते थे। पाँचवा जिलको शाह निजाम लिखा है उसका पता मुबारक शाह और इब्राहीमके बीच में कुछ नहीं लगता / छट्ठा जो शाह बिराहिम लिखा है वह इब्राहीमके बेटे महमूद और पोते मुहम्मद शाह के पीछे हुआ था / बीच के दो बादशाहोंके नाम नहीं दिये। आठवाँ जो गाजी लिखा है वह सैयद बहलोल ले दी है। शाह हुसैनके पीछे यही जौनपुरका मालिक हुआ। नवाँ बख्या सुलतान बहलोलका बेटा बारबुक हो सकता है। 1 - अर्धकथानक पद्य 32-37 / 2 -देखो, मई 1957 की सरस्वतीमें 'हेमचन्द्र विक्रमादित्य लेख / ' 3 --देखो, बनारसीविलास (प्रथम संस्करण सन् 1905 पृ. 26, 28) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001851
Book TitleArddha Kathanak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBanarasidas
PublisherAkhil Bharatiya Jain Yuva Federation
Publication Year1987
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Biography
File Size13 MB
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