________________ छिहत्तरे संबत आसाढ़ / जनम्यौ पुत्र धरमरुचि बाढ़ // बरस एक बीयौ जब और / माता मरन भयौ तिस ठौर / / 589 सतहत्तरे समै मा मरी / जथासकति कछु लाहनि करी // उनासिए सुत अरु तिय मुई / तीजी और सगाई हुई // 590 बेगा साहु कूकड़ी गोत / खैराबाद तीसरी पोत / समय अस्सिए ब्याहन गए / आए घर गृहस्थ फिरि भए // 591 // तब तहां मिले अरथमल ढोर / करै अध्यातम बातें जोर / तिनि बनारसीसौं हित कियौ / समैसार नाटक लिखि दियौ 592 राजमलनैं टीका करी / सो पोथी तिनि आगै धरी // कहै बनारसिसौं तू बांचु / तेरे मन आवेगा सांचु // 593 // तब बनारसि बांचे नित्त / भाषा अरथ बिचारै चित्त / पाव नहीं अध्यातम पेच / मानै बाहिज किरिआ हेच // 594 // दोहरा करनीको रस मिटि गयौ, भयौ न आतमस्वाद / भई बनारसिकी दसा, जथा ऊंटको पाद // 595 // नौपई बहुरौं चमत्कार चित भयौ / कछु बैराग भाव परिनयौ // 'ग्यान-पचीसी' कीनी सार / 'ध्यान-बतीसी' ध्यान विचार 596 की. 'अध्यातमके गीत' / बहुत कथन बिबहार-अतीत / / 'सिवमंदिर' इत्यादिक और / कवित अनेक किए तिस ठौर 597 जप तप सामायिक पड़िकौन / सब करनी करि डारी बौन / हरी-बिरति लीनी थी जोइ / सोऊ मिटी न परमिति कोइ / / 598 1 अ उदार / 2 ब और / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org