________________ निकसै गांठि मरै छिनमांहि / काहूकी बसाइ किछु नांहि // चूहे मरहिं बैद मरि जांहि / भयसौं लोग अंन नहिं खांहि // 573 नगर निकट बांभनका गांउ / सुखकारी अजीजपुर नांउ // तहां गए बानारसिदास / डेरा लिया साहुके पास // 574 रहहिं अकेले डेरेमांहि / गर्भित बात कहनकी नांहि // कुमति एक उपजी तिस थान / पूरबकर्मउदै परवान // 575 मरी निबर्त भई बिधि जोग / तब घर घर आए सब लोग / आए दिन केतिक इक भए / बानारसी अमरसर गए / / 576 उहां निहालचंदकौ ब्याह / भयौ बहुरि फिरि पकरी राह / आए नगर आगरेमांहि / सबलसिंघके आवहिं जांहि // 577 दोहरा हुती जु माता जौनपुर, सो आई सुत पास। खैराबाद बिवाहकौं, चले बनारसिदास // 578 // चौपई करि बिवाह आए घरमांहि / मनसा भई जातकौं जांहि // बरधमान कुंअरजी दलाल / चल्यौ संघ इक तिन्हके नाल // 579 अहिछत्ता-हथनापुर-जात / चले बनारसि उठि परभात // माता और भारजा संग / रथ बैठे धरि भाउ अभंग // 580 // पचहत्तरे पोह सुभ घरी / अहिछत्तकी पूजा करी // फिरि आए हथनापुर जहां / सांति कुंथु अर पूजे तहां // 581 १ब दयाल। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org