________________ एहि विधि बीते बहुत दिन, एक दिवस इस राह / चाचा बेनीदासके, आए अंगासाह / / 563 अंगा चंगा आदमी, सजन और बिचित्र / सो बहनेऊ सिंघका, बानारसिका मित्र / / 563 तासौं कही बनारसी, निज लेखेकी बात / भैया, हम बहुतै दुखी, दुखी नरोतम तात // 565 तातें तुम समुझाइकै, लेखा डारहु पारि / अगिली फारकती लिखौ, पिछिलो कागद फारि // 566 __चौपई तब तिस ही दिन अंगनदास ! आए सबलसिंवके पास // लेखा कागद लिए मंगाइ / साझा पाता दिया चुकाइ // 567 फारकती लिखि दीनी दोइ / बहुरौ सुखुन करै नहिं कोई / / मता लिखाइ दुहुपै लिया / कागद हाथ दुहूका दिया // 568 न्यारे न्यारे दोक भए / आप आपने घरै उठि गए। सोलह सै तिहत्तरे साल / अगहन कृष्णपक्ष हिमकाल // 569 लिया बनारसि डेरा जुदा / आया पुन्य कॅरमका उदा // जो कपरा था बांभन हाथ / सो उनि भेज्या आछ साथ // 570 आई जौनपुरीकी गांठि / धरि लीनी लेखेमों सांठि॥ नित उठि प्रात नखासे जांहि / बेचि मिलावहिं पूंजीमांहि // 571 इस ही समय ईति बिस्तरी / परी आगरै पहिली मरी / / जहां तहां सब भागे लोग / परगट भया गांठिका रोग // 572 1-2 ड फारखती / 3 ब सुपन / 4 अ घरकौं / 5 अ कालका। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org