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अर्ध-कथानक
श्रीपरमात्मने नमः । अथ बनारसीदासकृत अर्ध-कथानक लिख्यते।"
दोहरा पानि-जुगुल-पुट सीस धरि, मानि अपनपौ दास । आनि भगति चित जानि प्रभु, बंदौं पास-सुपास ॥१॥
सवैया इकतीसा, बनारसी नगरीकी सिफथर गंगमांहि आइ धसी द्वै नदी बरुना असी,
बीच बसी बैनारसी नगरी वखानी है। कसिवार देस मध्य गांउ तातै कासी नांउ,
श्रीसुपास-पासकी जनमभूमि मानी है ।। तहां दुहू जिन सिवमारग प्रगट कीनौ,
___ तबसेती सिवपुरी जगतमैं जानी है। ऐसी बिधि नाम थपे नगरी बनारसीके,
__ और भांति कहै सो तौ मिथ्यामत-बानी है ।।२।। १ ड द ओनमः सिद्धेभ्यः । श्री जिनाय नमः। अथ बनारसी अवस्था लिख्यते।
२ इ निरुक्ति कथन । ३ ड बारानसी । Jain Education International For Private & Personal Use Only
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