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________________ सामग्री है । सूक्ष्म अध्ययनसे उनके क्रमविकासका, कवित्तशक्तिके विकासका और दार्शनिक साम्प्रदायिक विकासका भी पता लगता है। ४ अर्धकथानक चौथा ग्रन्थ यह 'अर्ध कथानक' है जो एक तरहसे उनका आत्मचरित और उनके समयके उत्तरभारतकी सामाजिक अवस्था और राजा प्रजाके सम्बन्धोंपर प्रकाश डालता है । आश्चर्य यह है कि भारतीय साहित्यकी इस अद्वितीय आत्मकथाका प्रचार बहुत ही कम हुआ है । पिछले दो तीनसौ वर्षोंके जैन ग्रन्थकारोंतकको भी इसका पता नहीं रहा है, ग्रन्थ-भण्डारोंमें भी इसकी हस्तलिखित प्रतियाँ बहुत कम देखी गई हैं। इसका कारण साम्प्रदायिक कट्टरता और विचार-संकीर्णता ही जान पड़ता है । १--सन् १९९५ में बनारसीविलासकी विस्तृत भूमिकामें 'अर्ध कथानक' का प्रायःपूरा अनुवाद दे दिया था परन्तु मूल पाठ उसमें नहीं था। वह कोई ३८ वर्षके बाद सन् १९४३ में प्रकाशित हो सका। लगभग उसी समय प्रयागके सुप्रसिद्ध विद्वान् डा० माताप्रसाद गुप्तने उसे ' अर्द्धकथा' नामसे प्रकाशित किया और उसकी खोजपूर्ण भूमिका लिखी। 'अर्द्धकथा' केवल एक ही प्रतिके आधारसे सम्पादित हुई थी, इस लिए उसमें पाठकी अशुद्धियाँ बहुत रह गई हैं और बहुतसे पाठ भी छूटे गये हैं। ३९२ नं० का 'मोती हार लियौ हुतो" आदि दोहा नहीं है, ५५९ से ५६६ नम्बरके ८ पद्य बिल्कुल गायब हैं, ६२२, ६२३ और ६६५ नम्बरके पद्य भी छूटे हैं और आगे ६७१ नं० का ना. आगरेमें बसै' आदि दोहा नहीं है । इस तरह सब मिलाकर १३ पद्य कम हैं और समस्त पद्योंकी संख्या ६६२ है। इसपर डॉ० सा० लिखते हैं कि. " यद्यपि रचनाके अन्तमें उसकी छन्दसंख्या ६७५ कही गई है पर वह वास्तवमें है ६६२ ही। और कहींपर ज्ञात नहीं होता कि पंक्तियाँ छूटी हुई हैं, क्यों कि कथाकी धारा अवाध रूपसे प्रवाहित होती है। ऐसी दशामें दो बातें संभव ज्ञात होती है, या तो कोई समस्त प्रसंग--एक या अधिक-ग्रन्थ... निर्माणके बाद कभी स्वतः लेखक या किसी अन्य व्यक्तिद्वारा इस प्रकार निकाल दिया गया कि वस्तु विकासमें कोई व्यवधान उपस्थित न हुआ, अथवा कविने जो छन्दसंख्या लिखी उसमें उससे कोई गणनाकी भूल हो गई । पाठ प्रमाद... Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001851
Book TitleArddha Kathanak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBanarasidas
PublisherAkhil Bharatiya Jain Yuva Federation
Publication Year1987
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Biography
File Size13 MB
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