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३२ प्रश्नोत्तरमाला-उद्धव-हरि-संवादके रूपमें २१ पद्योंमें है । पहलेके ९ दोहोंमें समता, दम, तितिक्षा, धीरज आदिके २४ प्रश्न हैं और फिर अन्तकी १० चौपाइयोंमें उनके उत्तर हैं । यथा
समता-ग्यान-सुधारस पीजै, दम इंद्रिनको निग्रह कीजै ।
संकटसहन तितिच्छा बीरज, रसना मदन जीतबौ धीरज ॥ अन्तमें कहा है
इति प्रश्नोत्तरमालिका, उद्धव-हरिसंवाद ।
भाषा कहत बनारसी, भानु सुगुरुपरसाद ॥ २१ ३३ अवस्थाष्टक-इसके आठ दोहोंमें कहा है कि निश्चयनयसे चेतनलक्षण जीव सब एक जैसे हैं, पर व्यवहार नयसे मूढ, विचक्षण और परम ये तीन भेद हैं । मूढ एक प्रकार, विचक्षण तीन प्रकार और परमातमा जंगम और अविचल दो प्रकार, इस तरह छह प्रकारके जीव हैं। फिर सबका स्वरूप बतलाया है। अन्तमें कहा है
जिहि पदमैं सब पद मगन, ज्यौं जलमैं जलबुंद ।
सो अविचल परमातमा, निराकार निरकुंद ॥ ८ ३४ षट्दर्शनाष्टक.- इसमें शैव, बौद्ध, वेदान्त, न्याय, मीमांसक, और जैनमतका स्वरूप एक एक दोहेमें दिया है । जैनमत यथा
देव तीर्थकर गुरु जती, आगम केवलि-बैन ।
धरम अनन्तनयातमक, जो जानै सो जैन ॥ ७ ३५ चातुर्वर्ण-पाँच दोहोंमें ब्राह्मणादि चार वर्णीका वास्तविक अर्थ बतलाया है । ब्राह्मण यथा
जो निहचै मारग गहै, रहै ब्रह्मगुनलीन ।
ब्रह्मदृष्टि सुख अनुभवै, सो ब्राह्मण परबीन ॥ ३६ अजितनाथके छन्द-यह कविकी संभवतः सबसे पहली रचना है। यह उन्होंने अपनी ससुराल खैराबादमें लिखी थी। इसमें अजितनाथको
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