SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 128
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तत्त्वानुशासन सामान्य रूप से अरहंत आराहक हैं, समुद्घात की अपेक्षा अनाहारक हैं तथा चौदहवें गुणस्थान में भी अनाहारक ही हैं । प्राणों की अपेक्षा अरहंत के-पाँच इन्द्रिय, तीन बल, आयु, श्वासोच्छ्वास दसों प्राण हैं अथवा भावप्राणों के (इन्द्रिय-मन) अभाव अपेक्षा ४ प्राण भी हैंवचनबल, कायबल, आयु, श्वासोच्छ्वास । अरहंत देव छहों पर्याप्तियों (आहार, शरीर, इन्द्रिय, श्वासोच्छवास, भाषा और मन) से समृद्ध हैं, अथवा भाव इन्द्रिय और मन के बिना चार पर्याप्तियाँ भी उनकी मानो जाती हैं। जीवस्थान की अपेक्षा अरहंत पंचेन्द्रिय मनुष्य कहलाते हैं । इस प्रकार बोस प्ररूपणा, सत्, संख्या, क्षेत्र, स्पर्श, काल, अन्तर भाव, अल्पबहुत्व, निर्देशस्वामित्व, साधन, अधिकरण, स्थिति, विधान आदि का आश्रय करके ध्येय अरहंत का ध्यान चिन्तन भव्यात्मा जोवों को अवश्य करना चाहिये ।। अरहंतदेव के ध्यान से मोक्ष की प्राप्ति वीतरागोऽप्ययं देवो ध्यायमानो मुमुक्षुभिः । स्वर्गापवर्गफलदः शक्तिस्तस्य हि तादृशी ॥१२९। अर्थ-मोक्ष को इच्छा करने वाले लोगों के द्वारा ध्यान किये गये ये वीतराग देव भी स्वर्ग एवं मुक्ति रूप फल को देने वाले हैं, क्योंकि उनकी वैसी शक्ति है ।। १२९ ।। विशेष-जो जाणदि अरहंतं दव्वत्त गुणत्त पज्जयत्तेहिं । जो जाणदि अप्पाणं मोहं खलु जादि तस्सलयं ॥ जो अरहंत को उनके द्रव्य, गुण, पर्याय से जानता है, उनका ध्यान करता है, व समवसरण में स्थित अरहंत की निस्पृहता का ध्यान करता है वह संसार शरीर भोगों से उदासीन हो अरहंत का दास बनता है। प्रभु के गुणों का ध्यान करता हुआ निज स्वरूप की ओर लक्ष्य देता है “यः परमात्मा स एवाह" सोऽहं की भूमिका में अपने को स्थापित करता है तथा योऽहं स परमस्ततः। "अहमेव मयो पास्यो, नान्य कश्चिदिति स्थिति" द्वारा निजानन्दमय, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001848
Book TitleTattvanushasan
Original Sutra AuthorNagsen
AuthorBharatsagar Maharaj
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1993
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy