________________
तत्त्वानुशासन
७९
इसोप्रकार ज्ञानार्णव में आचार्य शुभचन्द्राचार्य ने पंचाक्षरी मंत्र को शरीर में स्थाथना करने के लिये बताया है । जो क्रम से 'अ' को नाभिकमल में, सि को मस्तक कमल में, 'आ' कण्ठस्थ कमल में, 'उ' को हृदय कमल में सा को मुख में स्थापित करें।
मस्तक कमल
--मरख कमल
कण्ठ कमल
+
हृदय कमल
। नाभिकमल
अरहंत नाम का ध्यान हृदयेऽष्टदलं पद्म वगैः पूरितमष्टभिः । दलेषु कणिकायां च नाम्नाधिष्ठितमर्हताम् ॥ १०५ ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org