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·७८
तत्त्वानुशासन
पतनवाचक
- मतिज्ञानाचक
--
ओ
अ
- अवधिज्ञान
वाचक
वाचक मनःपर्यय ज्ञान
सप्ताक्षरों का ध्यान सप्ताक्षरं महामंत्रं मुखरध्रषु सप्तसु । गुरूपदेशतो ध्यायेदिच्छन् दूरश्रवादिकम् ॥ १०४ ॥
अर्थ--गुरु के उपदेश से श्रवण आदि के दोष को दूर करने की इच्छा करता हुआ व्यक्ति मुख के सातों छेदों में सात अक्षरों वाले महामंत्र (नमो अरहंताणं) का ध्यान करे ॥ १०४!!
विशेष-सप्ताक्षरी मंत्र (णेमो अरहंताणम्) के अक्षरों को जिह्वा, नाक, कान, आँख आदि में क्रम से स्थापित करें।
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