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तत्त्वानुशासन गणभद्लयोपेतं त्रिपरीत च मायया। क्षोणीमंडलमध्यस्थं ध्यायेदभ्यर्च (र्च)येच्च तत् ॥ १०६ ॥
अर्थ-हृदय में आठ दल का कमल बनावें, उसकी आठों ही पाखुड़ियों को आठ वर्गों से पूरित करें और मध्यभाग (कणिका) में अरहंत का नाम स्थापित करे । तदनन्तर गणधर वलय से सहित, माया से तीन बार घिरे हुए एवं पृथ्वा मंडल के मध्य में स्थित उस अष्टदल वाले कमल का ध्यान करे तथा पूजा करें ।। १०५-१०६ ।।
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अरहंत
__ अ से ह पर्यन्त अक्षरों का ध्यान अकारादिहकारान्ताः मन्त्राः परमशक्त्यः । स्वमण्डलगता ध्येया लोकद्वयफलप्रदाः ॥ १०७ ॥
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