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-७. २०३)
सिद्धान्तसारः
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तदहर्जाविलोमाग्रच्छेदैः पूर्ण घनीकृतम् । व्यवहारमिदं' पल्यं कथ्यते यतिनायकः ॥ १९४ एककलोमसंकर्षाध्दते वर्षशते शते । यावद्रिक्तं भवेत्पल्यं स च पल्योपमो मतः ॥ १९५ असंख्याताब्दकोटीनां यावन्तः समयाः पुनः । तावन्मात्रपरिच्छिन्नतल्लोमच्छेदसम्भृतम् ॥१९६ उद्धाराख्यं मतं पल्यं समये पूर्णता ततः । एककस्मिन्हते लोम्नि यावद्रिक्तं प्रजायते ॥ १९७ स सर्वोपि मतः कालो हयुद्धारः पत्यसंज्ञकः । कोटीकोटयो दर्शतेषां उद्धारः सागरोपमः ॥१९८ अर्द्धतृतीयसंख्यानां उद्धाराणां भवन्ति ये रोमच्छेदाश्च तावन्तः कथ्यन्ते द्वीपसागराः ॥ १९९ पुनरुद्धारपल्यस्य रोमच्छेदैः प्रजायते । शताब्दसमयच्छिन्नरद्धापल्यं प्रपूरितम् ॥ २०० एककस्मिन्हते तस्मिन्समये समये ततः । यावद्रिक्तं भवेत्सोऽयमद्धापल्योपमो मतः ॥ २०१ कोटिकोटयो दर्शतेषां स्यादद्धा सागरोपमः। कोटिकोटयो दशैतेषां एका स्यादवसपिणी ॥२०२ तथैवोत्सर्पिणी ज्ञेया यस्यामुत्सर्पणं सदा । सर्वेषां हि पदार्थानामायुरुत्सेधपूविणाम् ॥ २०३
जिनको जन्म लेकर एक दिन हुआ है ऐसे मेषोंके केशारोंसे - जिनका पुनः टुकडा नहीं होता है ऐसे केशानोंसे वह गड्ढा दृढतया भरना चाहिये तब उसको यतिनायक व्यवहारपल्य कहते हैं ॥ १९४ ॥
( व्यवहारपल्योपमका लक्षण । )- सौ वर्ष बीतनेपर एक रोमान निकालना चाहिये। पुनः सौ वर्ष समाप्त होनेपर दूसरा लोमान निकालना चाहिये, पुनः सौ वर्ष समाप्त होनेपर, तिसरा, इस प्रकार लोमान निकालते निकालते जब वह गड्ढा जितने कालसे पूर्ण रिक्त होता है उतने कालको व्यवहारपल्योपम कहते हैं ॥ १९५ ॥
(उद्धारपल्योपमका लक्षण। )- पुनः असंख्यात वर्ष- कोटियोंके जितने समय होते हैं उतने समयोंसे परिगणित एक एक मेषकेशानोंसे भरा हुआ जो गड्ढा उसको उद्धारपल्य कहते हैं । वह उद्धारपल्य पूर्ण भरनेपर एक समयमें एक रोमाग्र निकालना चाहिए, पुनः एक समयमें एक रोमान निकालना चाहिए, इस प्रकारसे निकालते निकालते जब वह गड्ढा जितने कालसे खाली हो जाता है- रिक्त होता है उतने बडे कालको उद्धारपल्योपम कहा जाता है। दश कोटि कोटि उद्धारपल्योपमोंका एक उद्धारसागर होता है । ढाई उद्धारसागरोपमोंके जितने रोमच्छेद होते हैं उतने इस मध्यलोकमें द्वीप और समुद्र है ॥ १९६-१९९ ॥
( अद्धापल्योपम अवसर्पिणी और उत्सर्पिणीका लक्षण। )- सौ वर्षोंके जितने समय होते हैं उतने टुकडे उद्धार पल्यके एक एक रोमच्छेदके करने चाहिये। और ऐसे रोमच्छेदोंसे वह अद्धापल्य भरना चाहिये। इसके अनंतर एक एक समयमें एक एक रोमच्छेद वहांसे निकालना चाहिये । ऐसा निकालते निकालते जब वह रिक्त होगा तब उस कालको उसे अद्धापल्योपमकाल कहते हैं। दस कोटी कोटी अद्धापल्योपमोंका एक अद्धासागरोपम होता है । और दस कोटीकोटी
१ आ. वै व्यावहारिक पल्यं. २ आ. संकहिते
३ आ. समये समये ततः
४ आ. सज्ञिक:
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