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सिद्धान्तसारः
( ७. ११६
इति पूर्वविदेहोऽसौ मेरोः पूर्वविभावितः । पश्चिमेन तथैव स्याद्विदेहः पश्चिमाभिधः ॥ ११६ नामान्येव विभिद्यन्ते तत्र नान्यत्कियत्पुनः । क्षेत्राणां च पुरीणां च तान्यतो निगदाम्यहम् ॥ ११७ सीतोदा दक्षिणे' पद्मा सुपद्मा च तथा पुनः । महापद्मा ततोऽपि स्यात्सत्क्षेत्रं पद्मकावती ॥ ११८ संख्या च नलिना तस्मात्कुमुदा सरिता सह । इत्येवं क्षेत्रनामानि ज्ञातव्यानि मनीषिभिः ॥ ११९ अश्वादिकापुरीसिंहपुरी चापि महापुरी । विजयारजा च विरजाऽशोका वीतादशोकिका ॥। १२० नगर्यः क्षेत्रमध्यस्थाः सुविस्तीर्णाः सुशोभनाः । निषधस्योत्तरे भागे विद्यन्ते क्षेत्रमध्यगाः ॥ १२१ भूतारण्यवनं देवारण्यवद्विस्तृतं मतम् । तस्य या वेदिका तस्याः पूर्वतः क्षेत्रमुत्तमम् ॥ १२२ सोतोदायास्तटे रम्ये नीलपर्वतदक्षिणे । वप्रानाममहाक्षेत्रं विजयानगरान्वितम् ॥ १२३ सुवप्राथ महावप्रासत्क्षेत्रं वप्रकावती । गंधिका च सुगन्धा च गन्धिला गन्धमालिनी ॥ १२४ क्षेत्राण्यष्टातिरम्याणि ज्ञातव्यानि मनीषिभिः । नगर्योऽपि तथा तावच्छ्री भद्रा सालवेदिका ।। १२५
मेरु पूर्व दिशामें बसे हुए विदेहक्षेत्र के देशोंको पूर्व विदेह कहते हैं और मेरुकी पश्चिम दिशामें विद्यमान विदेहदेशोंको पश्चिम विदेह कहते है । इन दोनों विदेहोंके देशोंके और नगरि - योंके नामही भिन्न भिन्न हैं इनसे व्यतिरिक्त कुछ विशेषता उनमें नहीं है । इनके विस्तारादिक समान हैं । अब क्षेत्रोंके और नगरियोंके नाम मैं कहता हूं ।। ११६-११७॥
सीतोदा नदीके दक्षिण तटपर जो देश हैं, उनके नाम इस प्रकार हैं- पद्मा', सुपद्मा', महापद्मा', पद्मकावती, संख्या ५, नलिना, कुमुदा और सरिता' ऐसे आठ देशोंके नाम विद्वानों के जानने योग्य हैं ।। ११८-११९ ॥
( नगरियोंके नाम ) - अश्वपुरी', सिंहपुरी, महापुरी', विजयापुरी, अरजापुरी", विरजापुरी, अशोकापुरी, तथा वीतशोकापुरी' ये आठ नगरियां उपर्युक्त आठ क्षेत्रोंके बीच में हैं । ये नगरियां विस्तीर्ण और सुंदर हैं । निषधपर्वतके उत्तर भागमें और क्षेत्रके मध्यमें हैं ।। १२०-१२१ ॥
देवारण्य के समान भूतारण्य विस्तृत है और उसकी जो वेदिका है उसके पूर्वभाग में उत्तम क्षेत्र है ॥ १२२ ॥
सीतोदाके रमणीय तटपर और नील पर्वतके दक्षिण दिशामें वप्रा' नामक महाक्षेत्र है, जो कि विजया नामक नगरीसे युक्त है । तदनंतर सुवप्रा महावप्रा', वप्रकावती, गंधिका ५, सुगंधा, गंधिला और गंधमालिनी' ऐसे आठ क्षेत्र अत्यंत रमणीय है; सो विद्वानोंके द्वारा जानने योग्य हैं ।। १२३-१२४ ।।
( इन देशोंके नगरियों के नाम । ) - भद्रसाल वनकी वेदीपर्यन्त ये आठ देश और नगरियां है। नगरियोंके नाम इस प्रकार हैं-वैजयन्तीपुरी', जयन्तीपुरी रम्यापुरी', अपराजितापुरी,
१ आ. दक्षिण २ आ. गंधा
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३ आ. यावत्
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