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सिरीवाल चरिउ
[१. १५.४ जे आणिउ दिण्णउ अमिय-हलु विस-हलु पडिहासइ सो वि खलु । जसु दिहिहि सज्जा होहिं अंध सो किमि मारिज्जइ रे पिरंध । हउँ दिवि पउलाहि भयउ
हउँ चक्कि सुभउम जेम बहिउ । हउँ अलियउ वसु णरवइ भयउ हउँ रावण जिम अवजसु लयउ। असि सुणई मुणिहि जिम दावियउ जसवइ णिव जिस पछितावियउ । पुत्तिया मई मारिय णिरु गँवारु णिय-खीरहो मई णिरु छित्त छारु । अहवा पुणु अम्हहँ कवणु दोसु परिणवइ सुहासुह करि विसेसु । इय चिंतिवि दिण्णइँ सुहयराई। भेंडारई संपई मणहराई। देवंगई णिवसण-भूसणाई
रह-तुरय-छत्त-सिंघासणाई। हय-गय-वाहण-जंपाण-जाण बहु-चिंध-चमर-करहई किकाण । देसई गामइँ धण-धाणपूरि मालवउ दिण्णु बेसहस चूरि । दिण्णउँ राउलु सोहा-रवण्णु धणु दासी-दास हिरण्णु अण्णु । उज्जेणिहि बाहिरि दिण्णु हाउ सिरिपालु रहिउ तहिं अंगराउ । सय-पंच- सप्त-मंदिरई तेवि कोढियण णिजालइ रहिय बेवि । तहिं णेह-परंपर अइविचित्त अच्छई विण्णि वि सुहु अणुहवंत । पुणु देक्खिवि णरवइ गहवरइ' विसमउ चित्तई णउ वीसरइ । अइ-मो हिउ सोइउ पहु भणइ विणु मुए णवि पछिताउ हणइ । १२ ता मंतिहि कीयउ कवड-मंतु णिव-पुरउ पजंपिउभउ कुजंतु । आइय आयणहि पहु पुकारि सीमा-संधिहि मारइ धुंधुमारि । मरहट्ठउ णिग्घिणु जोवि'४राउ पहु सोआयरु मुणि सो वि आउ । पयपालु समुट्ठिउ मारि मारि इम बुद्धि करिवि लइ गय णिसारि । जहिं अंगदेसु चंपउरि-ट्ठाउ १५ । जहिँ होंतु आसि अरिदमणराउ । णिव-धाडीवाहण-कुल-पवीणु जो देव-सत्थ-गुरु-पाय-लीणु ।
तहिं होंति आइसिरिवाल जणणि कुंदप्पह णिव-अरिदमण-घरिणि । घत्ता-ता उट्ठिय बे विविणउ करेवि पाय-कमलि णिवंडतई।
सा देइ असीस तिहुवण-ईस-पट्ट-घरिणि सिरिवाल तुह ।।१५।।
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ता कुँवरि-चित्ति फिट्टउ सँदेहु भल्लउ भउ जं पुच्छिउ ण गुज्झु जिणहरि जाइवि गिण्हमि वयाइँ मुणि पुंछिवि जिण सासण-पहाणु ण्हवणाइ वि बहुल-पसूण लेवि
जाणिउ णिरु रायकुमार एहु । ता लिंतु णाहु आराहु मज्झ । तुव फेडमि गुरु-पायहँ पसाई। पुणु करमि सिद्ध-चक्क वि विहाणु । कुंकुम कप्पूरई लइय' ते वि ।
३. ग साज्जा होहिं अंध । ४. ग हउ णउलहि जिम जेम अहिउ । ख हउ दविण उलहइ जेम अहिउ । ५. क असेस णह मणिहिं जिम दाविय। ६.ग णिय-खारहु। ७. ख ग सारइँ। ८.ग करहह । २. ग जेवि । १०. ग कोढियजण सहल रहिय तेवि। ११. ग गहवरइ । १२. क विण मइ णवि पछिताउ जाइ। १३. ग ययंएइ। १४. ग जोवराउ। १५. ग चंपहिडाउ। १६. ग आसिहोंत ।
१७. ग आय । १८ ग देवि । १६. १. ग लइ चलिय देवि ।
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