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________________ १४४ कार्तिकेयानुप्रेक्षा अन्वयार्थः-[ जो ] जो जीव [ दोससहियं पि देवं ] दोषसहित देवको तो देव [ जीवहिंसाइसंजदं धम्म ] जीव हिंसादि सहितको धर्म [ गंथासत्तं च गुरु ] परिग्रहमें आसक्तको गुरु [ मण्णदि ] मानता है [ सो हु कुद्दिट्टी ] वह प्रगटरूपसे मिथ्यादृष्टि है । भावार्थ:-भाव मिथ्यादृष्टि तो अदृष्ट छिपा हुआ मिथ्यात्वी है । जो कुदेव राग द्वेष मोह आदि अठारह दोष सहितको देव मानकर पूजा वन्दना करता है, हिंसा जीवघातसे धर्म मानता है और परिग्रहमें आसक्त भेषियों को ( पाखण्डियोंको ) गुरु मानता है वह प्रगटरूपसे प्रसिद्ध मिथ्यादृष्टि है । अब कोई प्रश्न करता है कि व्यन्तर आदि देव लक्ष्मी देते हैं, उपकार करते हैं उनकी पूजा वन्दना करें या नहीं ? उसको उत्तर देते हैं ण य को वि देदि लच्छी, ण को वि जीवस्स कुणदि उवयारं । उवयारं अवयारं, कम्मं पि सुहासुहं कुणदि ॥३१६॥ अन्वयार्थः-[को वि लच्छी ण य देदि ] इस जीवको कोई व्यन्तर आदि देव लक्ष्मी नहीं देते हैं [जीवस्स को वि उवयारं ण कुणदि] इस जीवका कोई अन्य उपकार भी नहीं करता है [ सुहासुहं कम्म पि उबयारं अवयारं कुणदि ] जीवके पूर्व संचित शुभ अशुभ कर्म ही उपकार तथा अपकार करते हैं। भावार्थ:-कोई ऐसा मानते हैं कि व्यन्तर आदि देव हमको लक्ष्मी देते हैं, हमारा उपकार करते हैं इसलिये हम उनकी पूजा वंदना करते हैं सो यह मिथ्याबुद्धि है। पहले तो इस पंचम कालमें प्रत्यक्ष कोई व्यन्तर आदि आप देता हुआ देखा नहीं, उपकार करता हुआ भी दिखाई नहीं देता, यदि ऐसा होता तो पूजनेवाले दरिद्री रोगी दुःखी क्यों रहते ? इसलिये वृथा कल्पना करते हैं। परोक्ष में भी ऐसा नियमरूप सम्बन्ध दिखाई नहीं देता है कि जो उनकी पूजा करते हैं उनके अवश्य उपकारादिक होवें ही, इसलिये यह मोही जीव वृथा ही विकल्प उत्पन्न करता है, जो पूर्वसंचित शुभाशुभ कर्म हैं वे ही इस प्राणीके सुख दुःख धन दरिद्र जीवन मरणको करते हैं। भत्तीए पुज्जमाणो, वितरदेवो वि देदि जदि लच्छी । तो किं धम्मं कीरदि, एवं चिंतेइ सहिट्ठी ॥३२०॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001842
Book TitleKartikeyanupreksha
Original Sutra AuthorKartikeya Swami
AuthorMahendrakumar Patni
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages254
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size16 MB
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