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कारिका- ७८ ]
तत्त्वदीपिका
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नहीं हैं, क्योंकि उनका ज्ञान दोष और आवरणके क्षयसे उत्पन्न नहीं हुआ है । जैमिनिका ज्ञान श्रुतिजन्य है । और श्रुतिकी अविसंवादिताका निर्णायक कोई नहीं है । 'श्रुति यथार्थरूपसे पदार्थोंको जानती है, इसलिए वह अविसंवादी है' ऐसा कहनेमें अन्योन्याश्रय दोष स्पष्ट है । क्योंकि श्रुति यथार्थज्ञान सिद्ध होने पर अविसंवादिता सिद्ध हो सकती है, और अविसं वादिता सिद्ध होने पर यथार्थज्ञान सिद्ध हो सकता है । अचेतन होनेसे श्रुति स्वयं भी प्रमाणभूत नहीं है । संनिकर्षके अचेतन होने पर भी अविसंवादी ज्ञानमें कारण होनेसे उसको उपचारसे प्रमाण माना जा सकता है, किन्तु श्रुति तो उपचारसे भी प्रमाण नहीं हो सकती है । क्योंकि श्रुति अविसंवादी ज्ञानकी कारण नहीं है । आप्तका वचन प्रमाण कहलाता है, क्योंकि वह प्रमाणका कारण और कार्य दोनों है । आप्तके वचनोंसे केवलज्ञानकी उत्पत्ति होती है, इसलिए वह प्रमाणका कारण है । और केवलज्ञानसे आप्त वचनकी उत्पत्ति होती है, इसलिए वह प्रमाणका कार्य है । किन्तु श्रुति आप्त प्रतिपादित न होनेसे उसमें प्रमाण व्यपदेश संभव नहीं है ।
अनाप्तके वचन होनेसे मीमांसक पिटकत्रय (सुत्तपिटक, विनय पिटक और अभिधर्म पिटक ) को प्रमाण नहीं मानते हैं । यही बात श्रुतिके विषय में भी कही जा सकती है । ऐसा कहना भी ठीक नहीं है कि वक्ता के दोष के कारण पिटकत्रय अप्रमाण हैं, और वक्ताके न होने से श्रुति प्रमाण है, क्योंकि पिटकत्रयका कोई वक्ता है और श्रुतिका कोई वक्ता नहीं है, इसका निर्णय कैसे होगा । यदि कहा जाय कि स्वयं बौद्धोंने पिटकत्रयको पौरुषेय माना है, और मीमांसकने श्रुतिको अपौरुषेय माना है, तो ऐसा कहना ठीक नहीं है । क्योंकि किसीके माननेसे पौरुषेयत्वकी और न माननेसे अपौरुषेयत्वकी व्यवस्था नहीं हो सकती है । यदि ऐसा माना जाय कि पिटकत्रयके कर्ताका स्मरण होनेके कारण उसका कोई कर्ता है, और श्रुति के कर्ताका स्मरण न होनेसे उसका कोई कर्ता नहीं है, तो ऐसा मानना भी असंगत है । क्योंकि यदि मानने मात्रसे कोई व्यवस्था होती है, तो बौद्ध ऐसा भी कह सकते है कि पिटकत्रयका भी कोई कर्ता नही है, और उसके कर्ताका स्मरण भी नहीं होता है । अतः पिटकत्रय और वेदमें कोई विशेषता नहीं है । यदि वेद प्रमाण हैं, तो पिटकको भी प्रमाण मानना चाहिए । यदि पिटकत्रयका वक्ता बुद्ध है, तो वेदका भी वक्ता ब्रह्मा आदि है । बौद्ध अष्टक ऋषियोंको वेदका कर्ता मानते हैं वैशेषिक और पौराणिक ब्रह्माको वेदका कर्ता
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