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आप्तमीमांसा
[ परिच्छेद- १
सांख्यके अनुसार घटकी और मीमांसकके अनुसार शब्दकी उत्पत्ति नहीं होती है, किन्तु अभिव्यक्ति होती है, और अभिव्यक्तिके लिये ही पुरुषका व्यापार होता है । किन्तु घट और शब्दकी अभिव्यक्तिकी कल्पना प्रमाण सम्मत नहीं है । यदि पुरुषके व्यापारके पहिले घट और शब्दका सद्भाव किसी प्रमाणसे सिद्ध होता, तो पुरुषके व्यापारसे उनकी अभिव्यक्ति बतलाना ठीक था । परन्तु पुरुषके व्यापारके पहिले घट और शब्द सद्भावको सिद्ध करनेवाला कोई प्रमाण न होनेसे उनकी अभिव्यक्तिकी कल्पना असंगत ही प्रतीत होती है ।
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थोड़ी देर के लिये मान भी लिया जाय कि घट और शब्दकी अभिव्यक्ति होती है, फिर भी सांख्य और मीमांसकको अभिव्यक्तिका प्रागभाव तो मानना ही पड़ेगा । अर्थात् घट और शब्दकी अभिव्यक्तिका पहिले प्रागभाव था और इस समय प्रागभावके नाश होने पर उनकी अभिव्यक्ति हो गयी । यदि माना जाय कि तालु आदिके व्यापारसे शब्दकी असत् अभिव्यक्ति की जाती है, और कुम्भकारके व्यापारसे घटकी असत् अभिव्यक्ति की जाती है, तो ऐसा माननेसे घट तथा शब्दकी उत्पत्ति मान लेना ही श्रेयस्कर है । और अभिव्यक्ति के प्रागभावके स्थान में घट तथा शब्दका प्रागभाव मान लेना चाहिए। ऐसा मानने से प्रमाण विरुद्ध अभिव्यक्तिकी कल्पना भी नहीं करना पड़ेगी ।
मीमांसकों के अनुसार शब्द अपौरुषेय है, अतः पुरुषके द्वारा शब्दकी उत्पत्ति नहीं होती है, किन्तु अभिव्यक्ति ही होती है । और अभिव्यक्तिको पुरुषकृत होनेसे अविद्यमान अभिव्यक्तिके होने में कोई विरोध नहीं है । यह मत भी युक्तिसंगत नहीं है । क्योंकि अभिव्यक्ति शब्दसे अभिन्न है या भिन्न । प्रथम पक्षमें अपौरुषेय शब्दसे अभिन्न अभिव्यक्ति भी अपौरुषेय ही होगी । और यदि अभिव्यक्ति पौरुषेय है, तो उससे अभिन्न शब्द भी पौरुषेय होगा । द्वितीय पक्ष में अभिव्यक्तिको शब्दसे भिन्न माननेमें भी कई विकल्प होते हैं । यदि श्रवणज्ञानोत्पत्तिका नाम अभिव्यक्ति है, तो श्रवणज्ञानोत्पत्ति पहिले थी या नहीं । यदि पहिले थी तो विद्यमान अभिव्यक्ति पुरुषकृत कैसे होगी । और यदि श्रवणज्ञानोत्पत्तिरूप अभिव्यक्ति पहले नहीं थी, तो बादमें शब्द में श्रवणज्ञानोत्पत्तिरूप अभिव्यक्तिके आनेसे अनित्यताका प्रसंग प्राप्त होता है | श्रवणज्ञानोत्पतिरूप योग्यताको अभिव्यक्ति माननेमें भी पूर्वोक्त दोष आते हैं। योग्यता पहिले थी या नहीं, इत्यादि विकल्पों द्वारा इस पक्ष में भी वही दोष दिये जा सकते हैं । यदि
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