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कारिका-६ ]
तत्त्वदीपिका
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अपकर्ष नहीं देखा जाता । अतः रागादि दोष या विवक्षा वचनकी प्रवृत्ति का कारण नहीं है, यह बात निर्विवादरूपसे सिद्ध होती है ।
अर्हन्तके अनेकान्त शासन में पर प्रसिद्ध एकान्तके द्वारा बाधा नहीं आती है । 'यदिष्टं ते प्रसिद्धेन न बाध्यते' इस कारिकामें प्रसिद्ध शब्द परमतकी अपेक्षासे दिया गया । दूसरे मत वाले अनित्यत्वैकान्त, नित्यत्वे - कान्त आदिको प्रसिद्ध मानते हैं । उसी बातको यहाँ बतलाया गया है कि अर्हन्त के अनेकान्त शासनमें दूसरे मत वालोंके यहाँ प्रसिद्ध अनित्यत्वेंकान्त आदि द्वारा बावा नहीं आ सकती है । क्योंकि दूसरे मत वाले यद्यपि अनित्यत्वैकान्त आदिको प्रसिद्ध मानते हैं, किन्तु यथार्थ में अनित्यवैकान्त आदि प्रसिद्ध नहीं है । प्रमाणसिद्ध वस्तुका नाम प्रसिद्ध है और अनित्यत्वैकान्त आदिकी सिद्धि किसी प्रमाणसे नहीं होती है ।
बौद्धों अनुसार सब पदार्थ क्षणिक हैं । कोई भी पदार्थ दो क्षण नहीं ठहरता, एक क्षण ही पदार्थका अस्तित्व रहता है । इसप्रकारका अनित्यवैकान्त प्रत्यक्ष से सिद्ध नहीं होता है । प्रत्यक्षसे तो स्थिर अर्थकी ही प्रतिपत्ति होती है । बौद्ध यदि अनित्यत्वैकान्तकी सिद्धि अनुमान से करना चाहें तो बौद्धों यहाँ अनुमान भी नहीं बन सकता है । साध्य और साधनमें अविनाभाव सम्बन्धका ज्ञान होने पर साधनके ज्ञानसे जो साध्यका ज्ञान होता है वह अनुमान है | धूम साधन है और वह्नि साध्य है । उनमें ऐसा ज्ञान करना कि जहाँ-जहाँ धूम होता है वहाँ वहाँ वह्नि होती है, और जहाँ
नहीं होती वहाँ धूम भी नहीं होता । इस प्रकारके ज्ञानका नाम अविनाभावका ज्ञान है | धूम और वह्निमें अविनाभावका ज्ञान हो जाने पर पर्वतमें धूमको देखकर वह्निका ज्ञान करना अनुमान है। किन्तु बौद्धोंके यहाँ अविनाभावका ज्ञान किसी प्रमाणसे नहीं हो सकता है । प्रत्यक्षसे तो साध्य और साधनमें अविनाभावका ज्ञान हो नहीं सकता। क्योंकि बौद्ध प्रत्यक्षको निर्विकल्पक ( अनिश्चयात्मक) मानते हैं । निर्विकल्पक प्रत्यक्षके द्वारा अविनाभावका ज्ञान कैसे संभव हो सकता है । जो किसो बातका निश्चय ही नहीं करता है वह अविनाभावको कैसे जानेगा । निर्विकल्पक प्रत्यक्षके बाद एक सविकल्पक प्रत्यक्ष भी होता है जिसको बौद्ध भ्रान्त मानते हैं । वह भी अविनाभावका ज्ञान नहीं कर सकता है। क्योंकि उसका विषय भी वही है जो निर्विकल्पकका विषय है । जब निर्विकल्पक अविनाभावको नहीं जानता है, तो सविकल्पक कैसे जान सकता है । दूसरी बात यह भी है कि प्रत्यक्ष पासके अर्थको ही जानता है । उसमें इतनी सामर्थ्य
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