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सूत्रसंख्या
विषय
जिन-कल्पिक की शरीर-सम्बन्धित उपधि की संख्या
जिन -कल्पिक की जघन्य, मध्यम एवं उत्कृट उपधि की संख्या और उसका प्रभाग ( कल्प, पात्रक बन्ध और रजस्त्राग का नाप )
गच्छवासियों के कल्प का प्रमाण और उसका कारण
ग्रीष्म, शिशिर तथा वर्षा ऋतु प्राश्रित पटलकों की संख्या और उसका प्रमाण
रजोहरण का स्वरूप और उसका प्रमाण
संस्तारक, उत्तरपट्ट, चोलपट्ट, मुखवस्त्रिका, गोन्टग, पात्रप्रत्युपेक्षणिका और पात्रस्थापन का प्रमाण हीनाधिक वस्त्र को लेकर एक-दूसरे की निन्दा न करने का श्रादेश
[८]
कल्प के गुण और उसका उत्सर्ग एवं अपवाद की दृष्टि से प्रमाण
२. हीनातिरिक्त द्वार
कम या अधिक उपधि रखने से होने वाले दोष
३. परिकर्म-द्वार
वस्त्र - परिकर्म-विषयक सकारण अकारण पद के साथ विधिfift पद की चतुभंडी, तथा विधि परिकर्म और प्रविधि - परिकर्म का स्वरूप
४. विभूषा- द्वार
विभूषा- निमित्तक उपधि- प्रक्षालन करने वाले को प्रायश्चित्त
और उसके कारण
५ मूर्च्छा-द्वार
मूर्च्छा से उपधि रखने वाले को दोष और प्रायश्चित्त पात्र विषयक विधि
पात्र के प्रमाण आदि की सूचक द्वार-गाथा
१. प्रमाणातिरेक - हीनदोष द्वार
शास्त्रोक्त दो पात्र से अधिक तथा विहित प्रमाण से बड़े पात्र
रखने से होने वाले दोष और प्रायश्चित शास्त्रोक्त संख्या से कम तथा विहित प्रमाण से छोटे पात्र रखने से होने वाले दोष और प्रायश्चित्त
पात्र का प्रमाण (नाम)
२.
अपवाद द्वार
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गाथाङ्क
५७८८
५७८६-५७६३ ५७६४-५७१५
५८०३-५८०६
५८०७
५७६६-५७६६ १४०
५८००-५८०२ १४०
'२८०८-५८१२
५८१३
५८१४- ५८१५
५८२०-५८२१
५८२२-५८८५
५८२२-५८२३
५८२४-५८३६
५८२४- ५८२७
पृष्ठाङ्क
५८२८-५८३६
५८३७-५८३६ ५८४०-५८४५
१३८
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१३८ - १३६
१३६
५८१६-५८१६ १४३
१४०-१४१
१४१
१४१-१४२
१४२
१४२
१४४
१४४ - १५७
१४४ १४४-१४७
१४४-१४५
१४५ - १४७
१४७
१४७-१४८
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