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________________ » xur १ [ ५ । द्वादश उद्देशक सूत्राङ्क विषय गाथाङ्क पृष्ठाङ्क एकादश एवं द्वाश उद्देशक का सम्बन्ध ३६७६ ३१५ १-२ कारुण्यवशात् त्रस प्राणियों को बांधने अथवा छोड़ने का निषेध एवं तद्विषयक अपवाद ३६७७-३९८५ ३१५-३१७ पुनः पुनः प्रत्याख्यान भंग करने का निषेध ३६८६-३६६० ३१७-३१८ ४ परित्त-वनस्पति काय से संयुक्त आहार के उपभोग का निषेध ३६६१-३६६५ सलोम चर्म रखने का निषेध ३९६६-४०२० ३२०-३२४ परवस्त्राच्छादित तृण पीठक आदि पर बैठने का निषेध ४०२१-४०२५ । ३२४-३२६ साध्वी की संघाटी अन्य तीथिक अथवा गृहस्थ से सिलाने का निषेध ४०२६-४०३२ ३२६-३२७ ८ पृथ्वीकाय आदि की विराधना का निषेध ४०३३-४०३७ ३२७-३२८ है सचित्त वृक्ष पर चढ़ने का निषेध ४०३८-४०४१ ३२८-३२९ १० गृहस्थ के भाजन में प्राहार करने का निषेध ४०४२-४०४५ ३२६-३३० ११ गृहस्थ के वस्त्र पहनने का निषेध ४०४६-४०४७ ३३० १२ ग्रहस्थ की शय्या पर शयन करने का निषेध ४०४८-४०५३ ३३०-३३१ १३ ग्रहस्थ की चिकित्सा करने का निषेध ४०५४-४०५७ ३३१-३३२ १४ पूर्वकर्म दोष से युक्त आहारादि ग्रहण करने का निषेध ४०५८-४१११ : ३३२-३४३ १५ सचित्त पानी से भीगे हुए हाथ आदि से पाहार ग्रहण करने का निषेध ४११२-४११८ ३४३-३४४ १६ निझर, वापी, सर आदि स्थानों को देखने की अभिलाषा करने का निषेध ४११६-४१२६ ३४४-३४६ १७-२८ कच्छ, कानन, वन, पर्वत आदि स्थानों को देखने की अभिलाषा करने का निषेध ४१२७-४१३६ ३४६-३५० २६ विविध रूपों के दर्शन में ग्रासक्त होने का निषेध ४१४० ३५० ३० प्रथम प्रहर (पोरिसी) में गृहीत आहार पानी को पश्चिम प्रहर तक रखने का निषेध ४१४१-४१६६ ३५१-३५५ ३१ अर्ध योजन से आगे आहार-पानी ले जाने का निषेध ४१६७-४१९५ ३५५-३६१ ३२-३५दिन के समय गोबर ग्रहण कर रात्रि आदि के समय अथवा रात्रि के समय ग्रहग कर दिन ग्रादि के समय शरीर पर लेपन करने का निषेध ४१६६-४१६४ ३६१-३६२ ३६-३६दिन के समय पालेपन ग्रहण कर रात्रि आदि के समय लेपन करने का निषेध ४२००-४२०३ . ३६२ ४० अन्य तीथिक अथवा गृहस्थ से उपकरण उठवाने का निषेध ३६३ ४१ अन्य तीथिक अथवा गृहस्थ को आहारादि देने का निषेध ४२०४-४२०७। ४२ पांच महानदियों को महीने में दो अथवा तीन बार पार करने का निषेध ४२०८-४२५५ ३३४-३४७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001830
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
PublisherAmar Publications
Publication Year2005
Total Pages644
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_nishith
File Size10 MB
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