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________________ पृष्ठाङ्क २२२-२२४ २२४-२२५ २२५.-२२८ २२८ २२८-२३. २३०-२३१ २३१-२३७ २३७-२४० २४०-२५४ २५४-२५६ २५७-२५८ सूत्राङ्क विषय गाथाङ्क ८० मांसादिक, मत्स्यादिक, मांसखल, मत्स्यखल आदि के ग्रहण का निषेध ३४७६-३४८८ ८१ नैवेद्यपिण्ड के उपभोग का निषेध ३४८६-३४६१ ८२-८३ यथाच्छंद-स्वच्छन्दाचारी की प्रशंसा एवं वन्दना करने का निषेध ३४६२-३५०२ ८४ अयोग्य व्यक्तियों को प्रवजित-दीक्षित करने का निषेध ३५०३ प्रव्रज्या के लिए अयोग्य व्यक्ति एवं उन्हें दीक्षित करने से लगने वाले दोष, प्रायश्चित्त आदि ३५०३-३५०६ बाल के प्रकार ३५१०-३५१६ बाल-दीक्षा के लिए प्रायश्चित ३५१७-३५४१ वृद्ध के प्रकार एवं वृद्ध-दीक्षा के दोष, प्रायश्चित्त प्रादि ३५४२-३५६० नपंसक के भेद एवं नपंसक-दीक्षा के दोष, प्रायश्चित आदि ३५६१-३६२४ जड्ड के भेद एवं जड-दीक्षा के दोष तथा प्रायश्चित्त ३६२५-३६३६ ग्लोब के भेद एवं क्लीब-दीक्षा के दोष तथा प्रायश्चित्त ३६३७-३६४४ व्याधित के प्रकार, रोग एवं व्याधि के भेद, व्याधितदोक्षा के दोष प्रायश्चित्त आदि ३६४५-३६४६ स्तेन के प्रकार एवं स्तेन-दीक्षा के दोप तथा प्रायश्चित ३६५०-३६६२ राजापकारी का स्वरूप एवं इस प्रकार के व्यक्ति को दीक्षा देने से लगने वाले दोष तथा तत्सम्बन्धी प्रायश्चित्त उन्मत्त के भेद एवं उन्मत-दीक्षा के दोष व प्रायश्चित्त ३६७०-३६७१ अन्ध के प्रकार, अन्ध दीक्षा के दोष एवं प्रायश्चित्त ३६७२-३६७५ दास-दीक्षा के दोष एवं प्रायश्चित्त ३६७६ ३६८० दुष्ट के भेद एवं दुष्ट-दीक्षा के दोष तथा प्रायश्चित्त ३६८१-३६६३ मूढ के भेद एवं मूढ-दीक्षा के दोष एवं प्रायश्चित्त ३६६४-३७०२ अन्य प्रकार के अयोग्य व्यक्ति, उनके विविध भेद, उन्हें दीक्षा देने से लगने वाले दोप एवं तत्सम्बन्धी प्रायश्चित्त ३७०३-३७४६ ८५ अयोग्य को उपस्थापित करने का निषेध ३७४७-३७७१ ८६ अयोग्य से वैवावृत्य करवाने का निषेध ३७७२-३७७६ ८७-६०सचेलक एवं अचेलक के निवास के सम्बन्ध में विधि निषेध ३७७७-३७८७ ११ परिवासित चूर्ण आदि का उपयोग करने का निषेध ३७८८-३८०० ६२ विविध प्रकार के वालमरण की प्रशंसा करने का निषेध ३८०१-३८१० पंडित मरण का सदृष्टान्त विवेचन ३८११-३८१८ प्रवशिष्ट प्रक्षिम गाथाएं ३८१६-३६७५ २५८-२५६ २५६-२६१ २६१-२६२ २६२ २६२-२६३ २६३-२६४ २६४-२६७ २६७-२७० २७०-२७८ २७८-२८४ २८४-२८५ २८५-२८७ २८७-२६० २६०-२६२ २६२-२६६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001830
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
PublisherAmar Publications
Publication Year2005
Total Pages644
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_nishith
File Size10 MB
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