SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 41
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पृष्ठाङ्क १७१-१७४ १७१-१७४ १७१-१७६ १७६-१७७ १७७-१७६ १७६ १७६-१-५ १८५-१९१ एकादश उद्देशक सूत्राङ्क विषय गाथाङ्क दशम और एकादश उद्देशक का सम्बन्ध ३२७६ १-६ धातु के पात्र आदि के उपयोग का निषेध ३२७७-३२८४ १ लोहे, तांबे आदि के पात्र बनाने का निषेष ३२७७-३२८४ २ लोहे, तांबे प्रादि के पात्र रखने का निषेध ३ लोहे, तांबे आदि के पात्र में प्राहार करने का निषेध ४ लोहे प्रादि के बन्धन वाले पात्र बनाने का निषेध ५ लोह आदि के बन्धन वाले पात्र रखने का निषेध ६ लोहे आदि के बन्धन वाले पात्र में आहार करने का निषेध ७ अर्ध योजन के प्रागे पात्र-याचनार्थ जाने का निषेध ३२८५-३२६२ ८ अर्घ योजन से आगे से लाकर दिये जाने वाले पात्र के ग्रहण का निषेध ३२६३-३२६८ ६ धर्म के प्रवर्णवाद का निषेध ३२९-३३०६ १० अधर्म के वर्णवाद का निषेध ३३१०-३३१६ ११-६३ अन्यतीथिक अथवा गृहस्य के पाद आदि के प्रमार्जनादि का निषेध ३३१२-३३१३ ६४-६५ भय-सम्बन्धो निषेध ३३१४-३३३१ ६४ अपने आपको भयभीत बनाने का निषेध ६५ अन्य व्यक्ति को भयभीत करने का निषेध ६६-६७ विस्मय-सम्बन्धी निषेध ३३३७-३३४२ ६६ स्वयं विस्मित होने का निषेध ६७ अन्य को विस्मित करने का निषेध ६८-६६ विपर्यय-सम्बन्धी निषेध ३३४३-३३५२ ६८ स्वयं के सम्बन्ध में विपरीत कथन का निषेध ६६ अन्य के सम्बन्ध में विपरीत कथन का निषेध ७० मुखवर्ण-मुह के सामने स्तुति करने का निषेध ३३५३-३६५८ ७१ वैराज्य–विरुद्ध राज्य में गमनागमन का निषेध ३३५६-३३६० ७२-७७ दिवाभोजन एवं रात्रिभोजन सम्बन्धी विधि निषेध ३३६१-३४७१ ७२-७३ दिवाभोजन को निन्दा एवं रात्रि भोजन की प्रशंसा करने का निषेध ३३६१-३३६६ (०४-७७ दिन में लाये हुए भोजन का दूसरे दिन अथवा रात्रि में एवं रात्रि में लाये हुये भोजन का दिन में अथवा रात्रि में उपभोग करने का निषेध. तत्सम्बन्धी दोष, प्रायश्चित, अपवाद आदि ३३१७-३४७१ ७८-७६ आहारादि को वासी-रात्रि के समय रखने एवं इस प्रकार रखे हए अाहारादि का उपभोग करने का निषेध ३४७२-३४७८ १९१-९१२ १६२-६५ २६५-१६६ १६६-२०४ २०४-२२० २०४-२०५ २०५-२२० २२०-२२२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001830
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
PublisherAmar Publications
Publication Year2005
Total Pages644
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_nishith
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy