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सूत्रा
१५-१८ न्यूनाधिक प्रायश्चित्त दान का निषेध
१६-३० प्रायश्चित्त धारक के साथ ग्राहारादि करने का निषेध एवं तद्विषयक भिन्न-भिन्न प्रायश्चित्त
३१-३४ सूर्योदय एवं सूर्यास्त सम्बन्धी कुछ विधि - निषेध एवं तद्विषयक प्रायश्चित्त
३७
३५ रात्रि अथवा शाम के समय होने वाले उगिरण ( डकार ) को पुनः निगलने का निषेध एवं तत्सम्बन्धी दृष्टान्त ३६-३९ रोगी की वैयावृत्य-सेवा-शुश्रूषा
३६ रोगी के विषय में समाचार सुन कर भी उसकी गवेषणा न करने से लगने वाले दोष
रोगी के समाचार सुन कर दूसरे मार्ग से निकल जाने पर लगने वाले दोष, तत्सम्बन्धो प्रायश्चित्त, अपवाद, दृष्टान्त आदि
रोगी को सेवा-शुग में संलग्न माधु-साध्वी द्वारा श्रौषधादि को प्राति न होने पर आचार्यादि को निवेदन न करने से लगने वाले दोष
३८
[ २ ]
विषय
तथा तद्विषयक विभिन्न अधिकारी ( अन्त में राजा गद्दभिल्ल एवं श्रार्य कालक का दृष्टान्त )
३६
रोगी की सेवा-सुश्रूषा में संलग्न साधु-साध्वी दारा मौषधि की पूर्ण मात्रा का प्रबन्ध न करने से लगने वाले दोष ४०-४१ प्रथम पावस में ग्रामानुप्रामं विचरने का निषेध ; वर्षावास में विहार करने का निषेध
४२-४३ पर्युषणा में पर्युषणा करने एवं
पर्युषणा में पर्युपणा न करने से लगने वाले दोप, तत्सम्बन्धी प्रायश्चित्त, अपवाद एवं दृष्टान्त ४४ पर्युपणा के दिन गोलोम मात्र भी केश रखने से लगने वाले दोप
४५ पर्युपणा के दिन किचिन्मात्र भी ग्राहार के उपभोग का निषेध
४७
४६ अन्यतीर्थिक एवं गृहस्थ को पर्युषणा
(पर्युषणाकल्प ) कराने का निषेध
प्रथम समवसरण के बाद वस्त्र की याचना करने का निषेध, तत्सम्वन्धी दोष, प्रायश्चित्त, अपवाद ग्रादि
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गाथाङ्क
२७७२-२५६०
२८६१-२८६७
२८६८-२८८७
२८८८-२६३३
२६३४-२६६५
२६६६-३१२२
२६६६-२१६८
२६६६-३१०४
३१०५-३११६
३११७-३१२२
३१२३-३१३६
३१३७-३२०६
३२१०-३२१४
३२१५-३२१७
३२१८-३२२१
३२२२-३२७५
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पृष्ठाङ्क
३८-६०
६०-६१
६१-६७
६८-८०
८०-८५
८८ - १२१
८८
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११७-१२०
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१५८ - १७०
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