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________________ सूत्राङ्क विषय नवम एवं दशम उद्दे शक का सम्बन्ध १-३ आगाढ कठोर एवं परुष कर्कश वचन का निषेध प्राचार्य को कठोर वचन कहने का निषेध, कठोर के प्रकार, कठोर वचन के लिए प्रायश्चित्त नादि १ २ ३ ४ ५ विषयानुकम दशम उद्देशक ६ आधाकर्म के उपभोग का निषेध आदि ह प्राचार्य को कर्कश वचन कहने का निषेध एवं प्रायश्चित प्राचार्य को कठोर एवं कर्कश वचन कहने का निषेध प्राचार्य की प्राशातना करने का निषेध प्राशातना के चार प्रकार प्राशातना के दोष एवं प्रपवाद अनन्तकाय संयुक्त आहारादि के उपभोग का निषेध, तत्सम्बन्धी दोष, प्रायश्चित्त श्रादि ७-८ लाभालाभ सम्बन्धी निमित्त के कथन का निषेध छः प्रकार के निमित्त १० एतत्सम्बन्धी दोष शिष्य के अपहरण का निषेध अपहरण के प्रकार अपहरण सम्बन्धी प्रायश्चित्त एवं अपवाद विपरिणाम की व्याख्या गर्दा की व्याख्या एवं उसके तीन प्रकार ११ स्वकीय प्राचार्य प्रादि की दिशा को स्वयं अपहरण (परिवर्तन) करने का निषेध Jain Education International गामाङ्क २६०६ २६०७-२६४० २६०७-२६३८ २६३६ २६४० २६४१-२६५७ २६४१-२६४३ २६४४-२६५७ २६५८-२६६१ २६६२-२६८६ २६८७-२६६८ २६८७-२६६१ अन्य किसी के पास दीक्षित होने वाले शिष्य के परिणामोंभावों को विपरीत दिशा में मोड़ने का निषेध २६६२-२६६८ २६६६-२७२" २६६६-२७०३ . २७०४-२७१२ २७१३-२७३० २७१३-२७२० २७२१-२७३० १२ अन्यदीय शिष्य की दिशा के विपरिणमन का निषेध १३ ग्रन्य गच्छीय अभ्यागत साधु-साध्वी को बिना पूछ मछ के तीन रात्रि उपरान्त अपने पास रखने का निषेध १४ क्लेश का उपशमन किये बिना तीन रात्रि उपरान्त रहने का निषेध एवं क्लेश-सम्बन्धी विविध प्रायात २७३१-२७५७ -२७५८-२७६३ २७६४-२७७१ For Private & Personal Use Only पृष्ठाङ्क १-७ १-६ ६-७ ७ ७-११ ७-८ ८-११ ११-१२ १२-१८ १८- २० १८-१६ १६-२० २०-२३ २१-२२ २२-२३ २३-२६ २४-२७ २७-२६ २६-३५ ३५-३६ ३६-३८ www.jainelibrary.org
SR No.001830
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
PublisherAmar Publications
Publication Year2005
Total Pages644
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_nishith
File Size10 MB
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