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________________ प्रथम वराङ्ग चरितम् सर्गः यस्मिन्सदा गरुडकिन्नरपन्नगानां गन्धर्वसिद्धतुषितामरचारणानाम् । आक्रीडनानि विविधानि मनोहराणि सोद्यानकाननगुहागहनेष्वभूवन् ॥ ३०॥ तस्मात्पतङ्गजेविषाणविपाटितोरुपाषाणगह्वरविजृम्भितपन्नगेन्द्रान् । कादम्बसारसगणैरुपसेव्यमाना रम्या नदी प्रभवति प्रथिता धरायाम् ॥३१॥ वाताहतद्रुमपतत्कुसुमोपहारे मत्तभ्रमभ्रमरगीतरवाभिधाने । तस्यास्तु दक्षिणतटे समभूमिभागे रम्यातटं पुरमभूद्भुवि विश्रुतं तत् ॥ ३२ ॥ रम्यानदीतटसमीपसमुद्भवत्वाद् रम्यातटं जगति रम्य' हि नाम रूढम् । तस्यैव नाम कृतवृद्धिगुणान्समीक्ष्य अन्वर्थमुत्तमपुरं पटुभिद्वितीयम् ॥ ३३ ॥ इसके सुन्दर उद्यान, वन, गुफा और सघन जंगलोंमें नागकुमार, किन्नरादि व्यन्तर, पन्नग, गन्धर्व, सिद्ध, तुषित, अमर 1 और चारण जातिके देव सदा ही सब प्रकारको क्रीड़ाएँ किया करते थे। यह गुहा ग्रहोंमें क्रीड़ाएँ बड़ी ही रमणीय और मनमोहक होती थीं ।। ३०॥ दन्तकेलिके समय मदोन्मत्त हाथो झपटकर विशाल शिलाओंपर दन्तप्रहार करते थे, फलतः शिलामें फटकर बड़ी-बड़ी दरारें बन जाती थी, जिनमें विकराल साँप निवास करते थे ऐसे इस म्याचसौल पर्वतसे पृथ्वीभरमें प्रसिद्ध रम्या नामकी नदी, निकली थी, जिसमें हंस, सारस आदि जलचर पक्षियोंके झुण्ड के झुण्ड रहते थे ॥ ३१ ॥ इसी रम्या नदीके दक्षिणी किनारेपर एक विशाल समतल भूमिखण्ड पर विश्वप्रसिद्ध रम्यातट नगरी थी। हवाके झोकोंसे झमते हुए वृक्ष इसपर स्वयं गिरते हुये फूलोंकी भेंट चढ़ाते थे। फूलोंके परागसे मस्त होकर भौरे यहाँ घूमते-फिरते थे जिनके # गीतकी ध्वनिसे यह समतल नगरी सदा गुजती रहती थी ॥ ३२ ॥ मलमायामा RE उत्तमपुर इसी समतलपर संसारभरमें विख्यात रम्यातट नामका नगर बसा था। रम्यानदीके किनारेपर बसनेके कारण ही सारे संसारमें उसका 'रम्यातट' यह सुन्दर नाम चल पड़ा था यद्यपि इस नगरकी समृद्धि और विशेषताओंको देखकर कुशल पुरुषोंने । । इसका दूसरा नाम उत्तमपुर रखा था जो कि सर्वथा सार्थक था ॥ ३३ ॥ [९] १. [ तस्मान्मतंगज°]। २. [ पन्नगेन्द्रात् । ३. [ यस्य ]। ४.[कृतमृद्धिगुणान् ] । Jain Education international For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001826
Book TitleVarangcharit
Original Sutra AuthorSinhnandi
AuthorKhushalchand Gorawala
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1996
Total Pages726
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size16 MB
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