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________________ CHAH बराङ्ग एकोनविंशः परितम् सर्गः संश्रुत्य सा तवचनं यथार्थ लब्ध्वावकाशं नरदेवकन्या । मनोगतार्थप्रतिबोधनाय 'समानपूर्वा गिरमित्थमचे ॥ ५४॥ का मे प्रिया का च हितप्रवक्त्री मनःप्रसादस्य च का नियोक्त्री। का देवता कः सुजनोऽनुवर्ती ऋते भवत्या शरणं न मेऽस्ति ॥ ५५॥ नरेन्द्रसेवार्थमिहागतं तं यदा नु कश्चिद्भटमभ्यपश्यम् । तस्मिस्तदैवात्ममनः ससज्जे किं गृहितव्यं हितमित्युवाच ॥ ५६॥ यथा यथा तं मनसा स्मरामि मृगेन्द्रविक्रान्तमनङ्गरूपम् । तथा तथा मां प्रदहत्यनः कुरुष्व तच्छान्तिमरं वयस्ये ।। ५७॥ एवं प्रविष्टा मनसो विकारं विज्ञाय तस्याः कमलायतायाः । सर्वैरुपायैस्तव कार्यमायें संसाधयामीति ततो जगाद ॥५॥ AHARPATRAMMARRANTE-Paper-IN ममयमाघRITERSमयमयसमयमSHARELASS __ मुग्धाको आतुरता चतुर सखीके लगभग सत्य वाक्योंको सुनकर प्रेम-प्रपंचसे अनभिज्ञ राजपुत्रोंको मनोभावोंको चरितार्थ करनेका शुभ अवसर मिल गया था। अतएव अपने मनकी वास्तविक अवस्थाको स्पष्टरूपसे बतानेके अभिप्रायसे आदरपूर्वक राजपुत्रीने निम्न वाक्य कहे थे ।। ५४ ॥ _ 'मेरी तुमसे अधिक प्यारी सखी और कौन है । तुम्हीं तो मुझे हितकी बात कहती हो। तुम्हारे सिवा और कौन दूसरी मेरे मनको प्रफुल्लित कर सकती है ? मेरे लिए तुम साक्षात् देवता हो, कौन सगा-सम्बन्धी तुमसे बढ़कर अनुकूल हो सकता है ? और क्या कहूं तुम्हें छोड़कर कोई दूसरा मुझे शरण नहीं है ।। ५५ ॥ महाराजकी सेवा करनेके लिए एक दिन कश्चिद्भट अन्तःपुरमें आये थे, जिस समय मैंने उनको देखा, उसी समय मेरा हृदय उनपर लग गया। तुमसे क्या छिपाऊँ, तुमही हितका मार्ग दिखाओ ।। ५६ ।। हिरणोंके राजा सिंहके समान पराक्रमी और कामदेवके समान परम रूपवान उस कश्चिद्भटको जितना-जितना मनोमन सोचती हूँ, कामदेव निर्दय होकर मुझे उतना-उतना अधिक तपाता है। हे सखि ! शीघ्रसे शीघ्र इस दाहको शान्त करो ॥ ५७॥ सखीका आश्वासन इन वाक्योंके द्वारा प्रकट किये गये, कमलाक्षि राजदुलारीके मनोभावोंको भलीभाँति समझकर उस कुशल सखीने कहा १. [ संमानपूर्व ]। २. [ तच्छान्तिकरं ] । [३७१] Jain Education international For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001826
Book TitleVarangcharit
Original Sutra AuthorSinhnandi
AuthorKhushalchand Gorawala
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1996
Total Pages726
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size16 MB
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