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________________ बराङ्ग षोडशः सर्गः परितम् अनर्थकः किं बहुभिः प्रलाः फले ध्रुवं कार्यमुपैति व्यतक्म् ि । इत्येवमाविष्कृतसत्प्रतिज्ञो बहिस्तदेवाशु पुराज्जगाम ॥ ३०॥ महेन्द्रसेनप्रवरा महीन्द्रा उपेन्द्रसेनप्रमुखाश्च पुत्राः । पदातिहस्त्यश्वरथैः समेता नरेन्द्रयातानुपथं प्रयाताः ॥ ३१ ॥ अक्षाश्च वङ्गा मगधाः कलिङ्गाः सुह्माश्च पुण्ड्राः कुरवोऽश्मकाश्च । आभीरकावन्तिककोशलाश्च मत्स्याश्च सौराष्ट्रकविन्ध्यपालाः ।। ३२॥ महेन्द्रसौवीरकसैन्धवाश्च काश्मीरकुन्ताश्चरकासिताह्वाः। ओद्राश्च वैदर्भवैदिशाश्च पञ्चालकाद्याः पतयः पृथिव्याम् ॥ ३३ ॥ PHIPASHeamenamesearcANIRHeareARATHIRDanepreneseenet बहुत अधिक निरर्थक बकझक करनेसे क्या लाभ है ? मेरे द्वारा निश्चित किया गया कर्त्तव्य तो तब ही लोगोंकी दृष्टिमें आता है जबकि वे उसका फल सामने देखते हैं।' इस प्रकार अपनी अटल प्रतिज्ञाको राजसभामें प्रकट करके उस उद्दण्ड । मथुराके राजाने, विना विलम्ब किये उसी समय अपनी राजधानीसे प्रस्थान कर दिया था ॥ ३०॥ RASच्याच्यPRAasanasRLESS युद्धयात्रा उसके प्रस्थान करते ही उसके पब ही राजपुत्र जिनका प्रधान उपेन्द्रसेन था, तथा सब हो आज्ञाकारी राजा लोग जो कि अपना नेता महाराज प्रवरसेनको मानते थे, इन सबने भो अपनो हाथी, घोड़ा, रथ तथा पैदल सेनाको साथ लेकर उसी मार्गसे बढ़ना प्रारम्भ किया था जिसपर आगे-आगे इन्द्रसेन चला जा रहा था ।। ३१ ।। इस महासेनामें अंग (बंगालका भाग) वेश, बंग, (बंगाल) मगध, ( बिहार ) कलिङ्ग, ( उड़ीसा तथा मद्रास प्रेसीडेन्सीका गंजम जिला आदि भाग ) सून ( दक्षि०-पश्चिम बंगाल । पूण्ड (संथाल-प०, वीर भूमि, ) कूरू, अश्मक ( राजधानी मस्सग थी ) अभीरक, अवन्ति, ( उज्जन भोपाल आदि मालवा) कोशल ( उत्तर अवध दक्षिण = मध्यप्रान्तका अ-महाराष्ट्री भाग ) मत्स्य, (भरतपुर आदि ) सौराष्ट्र ( गुजरातका भाग) विन्ध्यपाल, (विन्ध्य प्रदेशका राजा) ॥ ३२ ।। महेन्द्र (महेन्द्र पर्वतका राजा) सौवोर, ( गुजरातका भाग ) सैन्धव ( सिन्ध) काशमीर, कुन्त [ ल ], ( कर्नाटक) चरक, असित ओद्र (ड्र-बंगाल-उड़ीसा) विदर्भ ( बरार) विदिशा ( भेलसा) पञ्चाल (पंजाबका भाग) आदि देशोक राजा लोग ॥ ३३ ॥ [२९०] १. क आभीरकावन्तिन। २. म चौदाश्च, [ औद्राश्च] Jain Education International www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only
SR No.001826
Book TitleVarangcharit
Original Sutra AuthorSinhnandi
AuthorKhushalchand Gorawala
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1996
Total Pages726
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size16 MB
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