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________________ वराङ्ग चरितम् आसीन्नरेन्द्रो मधुराधिपस्तु' नाम्नेन्द्रसेनः प्रथितो धरण्याम् । तस्याग्रपुत्रो बलवीर्य दृप्त उपेन्द्रसेनो युवराज् बभूव ॥ ५ ॥ समस्त सामन्तनिबद्धपट्टो समस्तसामन्तगणातिधैयौं शौर्योद्धतावप्रतिकोशदण्डौ समस्तसामन्तमदावरोधौ । १. [ मथुराधिप । बभूवतुश्चन्द्रदिवाकराभौ ॥ ६ ॥ गृहीतसामन्तसमस्तसारौ । तौ स वारणेन्द्रः अतुल्यवीर्यः देवसेनस्य नरेश्वरस्य गजेन्द्र माशुश्रवतुश्चरेभ्यः ॥ ७ ॥ शुभपीवराजो मदत्रतिक्लिन्नकपोलवेशः । स्रवदम्बुदाभश्चलद्गिरिप्रख्यतमोऽतिसस्वः ॥ ८ ॥ प्रभुता का मद उस समय यादवोंकी नगरी मथुरामें जो प्रतापी राजा राज्य करता था वह इन्द्रसेन नामसे पृथ्वी पर प्रसिद्ध था। महाराज इन्द्रसेन का बड़ा बेटा उपेन्द्रसेन था जिसे अपने पराक्रम तथा सैन्य, कोश आदि बलका बड़ा अहंकार था। वह अहंकारी मथुराधिपका पुत्र इसी समय युवराज पदपर आसीन हुआ था ।। ५ ।। इन बाप बेटे को आसपासमें समस्त सामन्त राजाओंने अधिपति माना था और अपनी प्रभुताका पट्टा स्वयं सामने बढ़कर उसने ग्रहण किया था। इन दोनोंने समस्त सामन्त राजाओंके प्रभुताके अहंकारको चूर कर दिया था। किसी भी सामन्त इतना धैर्य और साहस न था कि वह उनके विरुद्ध शिर उठाता अतएव वे दोनों बाप-बेटे सूर्य और चन्द्रमाके समान चमक रहे थे ॥ ६ ॥ Jain Education International असीम वीर्य और तेजके कारण वे उदण्ड हो गये थे। उनके कोश और दण्ड ( सैन्य आदि ) की कोई समानता न कर सकता था। अपने सब सामन्त राजाओंके सार ( सेना तथा कोश ) को उन्होंने बल पूर्वक झटक लिया था। इनके चरोंके द्वारा इन्हें समाचार दिया गया था कि 'ललितपुरके अधिपति महाराज देवसेन के पास सर्वोत्तम हाथी है ॥ ७ ॥' ललितपुर का सुन्दर हाथी वह हाथी ऐसा हृष्ट पुष्ट तथा सुन्दर था कि उसे देखते ही आकर्षण हो जाता था, उसके गण्डस्थल से सदा ही मदजल बहता था जिसके प्रवाहसे उसके दोनों कपाल स्निग्ध और आर्द्र रहते थे, उसकी शक्तिका अनुमान करना हो कठिन था, उसका रंगरूप बरसते हुए मेघ के समान था, इतना अधिक दृढ़ और विशाल था कि वह चलता फिरता पर्यंत ही प्रतीत होता था ॥ ८ ॥ For Private Personal Use Only षोडशः सर्गः [ २८४ ] www.jainelibrary.org
SR No.001826
Book TitleVarangcharit
Original Sutra AuthorSinhnandi
AuthorKhushalchand Gorawala
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1996
Total Pages726
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size16 MB
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