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________________ बराङ्ग वरितस् राजवधुओं का आत्मवध-हिंसा २६८ ललितपुराधीशका हस्तिरत्न धर्मकी शरणागति २६९ मथुराधिपके दूतका आगमन कर्म ही विधाता दुनिया रैन बसेरा मृत्यु ही निश्चित है। आयुकर्म की बलवत्ता त्रिदुःख धर्मका मूल दया पालनीयाणुव्रत अस्तेय अणुव्रतका लक्षण स्वदार संतोषका परिग्रहपरिमाणका दिव्रतका 31 भोगोपभोग परिमाणका लक्षण अनर्थ दण्डव्रतका सामायिकका प्रोषधोपवासका अतिथिसंविभागका सल्लेखना स्वर्गसुख कामार्तिकान्ति दृढ़तरधर्म रुचि निर्माण अष्टान्हिका विधान धर्माचरण योग षोडश सर्ग काहू उर दुचिताई प्रभुताका मद Jain Education International 11 22 31 11 "1 11 २७१ २७२ २७३ मथुराधिपका क्रोध " २७४ शत्रुपराभवकी कल्पना २७५ ललितपुरकी युद्धयात्रा " युद्धमत्त २७६ शत्रु निन्दा " 11 २७७ " 11 11 २७८ 37 भर्त्सना मथुराके दूतका अपमान युद्धकी सज्जा " २८० यादवोंकी बर्बरता संकटकालीन मंत्रि परिषद् 31 २७९ युद्ध ( निश्चय - घोषणा ) देहि वरांगका उत्साह तथा कृतज्ञता सेवा-समर्पण विमर्ष रणघोषणाकी घोषणा प्रथम मंत्रिमत आप्यायन हो उपाय साहाय्य प्रतिरोध भेद विजयमंत्री की वाकपटुता दण्ड तथा भेद ही उपाय यशकी उपादेयता २८३ २८४ " २८१ पितृमोह 11 सेठकी रणभीरुता २८३ - ३०८ वीर ( वरांगका) स्वागत सप्तदश सर्ग सविचार निमंत्रण समरयात्रा " २८५ युद्धयात्रा के कारण २८६ सैनिकों का उत्साह २८७ २८८ 11 २८९ विवेकियोंकी बातें 17 २९५ २९० रणरंग २९१ युद्धारम्भ २९२ पदातियुद्ध २९४ " २९६ २९७ २९८ २९९ वरांगके प्रति नागरिकोंके विविध 71 ३०० ३०१ -भाव जनसाधारणकी बातें For Private Personal Use Only युद्धकी भोषणता रणकला प्रदर्शन समरस्थली सहार में कवित्व युद्धकी चरमसीमा अष्टादश सर्ग नीतिपूर्वक युद्ध-संचालन मथुराधिपका प्रत्याक्रमण विजयमंत्री द्वारा प्रतिरोध हस्तियुद्ध उपेन्द्रका प्रत्याघात ३०२ कश्चिद्भटका आविर्भाव ३०३ ३०४ ३०५ ३०७ ३०९-३२८ ३०९ ३१ घात - प्रत्याघात द्वन्द्वका चरमोत्कर्षं उपेन्द्रका बध ३१३ " ३१४ ३१५ ३१६ ३१७ ३१८ ३१९ ३२१ ३२३ ३२४ ३२५ ३२६ ३२९-३५८ ३२९. ३३० ३३१ 37 ३३४ " उपेन्द्रसेनके तिरस्कारपूर्ण वचन ३३५ वरांगका संयम तथा वीरतापूर्ण उत्तर ३३६ युवराजका द्वन्द्व ३३८ ३४१ ३४२ ३४३ [24] www.jainelibrary.org
SR No.001826
Book TitleVarangcharit
Original Sutra AuthorSinhnandi
AuthorKhushalchand Gorawala
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1996
Total Pages726
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size16 MB
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