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________________ चतुर्दशः प्रवर्धमानः किल भूमिपालः श्रेष्ठित्वमाप्नोति च लोकवादः । स एष वादो मयि सत्यभूत आप्नोति नामानि बहूनि जीवः ॥२३॥ प्रीति त्वमीषां न निवारयामि एतच्च पश्यामि वणिक्प्रभुत्वम् । इति स्मरन्नात्मपुराकृतानि तेषामनुज्ञाय बभूव तूष्णीम् ॥ ८४ ॥ कश्चिद्धटस्याप्रतिपौरुषस्य विज्ञाय चित्तं ललितानगर्याम् । वणिक्सुताः शिष्टघटाः प्रपद्य श्रेष्ठित्वपट्टहि बबन्धुरिष्टाः ॥ ८५॥ वणिक्प्रभुत्वेन विराजमानं कश्चिदभटं कान्ततमं गुणौधः। समीक्षमाणाः पुरवासिनस्ते इदं समूचुः स्वमनोऽभिलाषम् ॥ ८६ ॥ सर्गः mame-SHARE- ISHeame-HSHeese- SamaASHTRIES जब कोई राजा दिन दूना और रात चौगुना बढ़ता है तो वह सेठ ( क्योंकि उसकी सम्पत्ति-कोश-बहुत बढ जाता है) हो जाता है यह लोक प्रसिद्ध कहावत है । यह सूक्ति मुझपर पूरी-पूरी घटती है। ठोक हो है संसार-चक्रमें पड़े जीवके अनेक नाम रखे ही जाते हैं ।। ८३ ॥ इन लड़कियोंके स्नेहमिश्रित आग्रहको न मानना अनुचित ही होगा, पर यह भी देख रहा हूँ कि वणिकोंके प्रभुत्वको ग्रहण करनेमें क्या सार है, अस्तु । इस प्रकारसे अपनेपर घटित हए पहिले अभ्युदय, उत्कर्ष, विपत्ति, आदिका स्मरण करते हुए उसने सेठोंकी पुत्रियोंको अनुमति दे दी थी और स्वयं चुप हो गया था ।। ८४ ।। श्रेष्ठो अभिषेक जब सेठोंकी लड़कियों को अनुपम पराक्रमी कश्चिद्भटकी विचारधाराका पता लग गया तो उन सबने मिलकर हाथों में मंगल कलश लिये हुये श्रेष्ठीपदकी आवश्यक रीतियोंको पूरा किया था तथा ललितनगरोके सेठोंको प्रधानताका द्योतक पट्ट । । उसे बाँध दिया था ।। ८५ ।। कश्चिद्भट ( युवराज वरांग ) स्वभावसे ही बड़े सुन्दर थे, इसके साथ-साथ उनमें अनेक गुण थे जो उनकी कान्ति और तेजको और भी बड़ा देते थे । इन सबके ऊपर उन्हें वणिकों का नेतृत्व प्राप्त हो गया था। इस प्रकार उनके अन्तरंग और बहिरंग दोनों ही सौन्दर्य निखर आये थे फलतः उन्हें देखनेवाले ललितपुर निवासियोंने निम्न प्रकारसे अपने हार्दिक उद्गार प्रकट किये थे ।। ८६ ॥ [२५४॥ । १. म श्रेष्ठित्वमाप्तोऽपि । www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only Jain Education International
SR No.001826
Book TitleVarangcharit
Original Sutra AuthorSinhnandi
AuthorKhushalchand Gorawala
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1996
Total Pages726
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size16 MB
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