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११६
१२०
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१४७
११३-१२८ पुण्यहीनोंकी गति
१३५ निर्वाण संख्या ११३ पुण्यका सुफल
१३८ समय-स्थान-शरीरकी अपेक्षा मनुष्यगतिके कारण
१४१ मुक्ति उदाहरण मनुष्यपर्यायकी दुर्लभता १४२ मुक्त आकार-आधार शरीर-अनित्यता
१४३ सिद्ध-स्वरूप मनुष्योंकी आयु
१४४ सिद्धोंके सुखका निरुपण नवम सर्ग १४५-१५९ संसार मोक्ष देवगतिके प्रधान भेद १४५ एकादश सर्ग १७५-१९४ भवनवासियोंके भेद
कुमार वरांगका प्रश्न व्यन्तरों के भेद
मिथ्यात्व सम्यक्त्व कथनकी ज्योतिषियोंके भेद
भूमिका १२१ वैमानिकोंके भेद
मिथ्यात्व लक्षण-उदाहरण १२२ स्वर्गोंकी रचना
मिथ्यात्व-संसारकर्ता विमानोंका रूपादि वर्णन १४८
मिथ्यात्वकी संसारकारणता देवगतिके कारण
१५०
सम्यग्दर्शनका स्वरूप देवोंकी जन्म प्रक्रिया
१५३
सम्यक्त्वका उदय दृष्टान्त १२६ देवोंका शरीर-वैशिष्ट्यादि १५४
रत्नत्रयका उदय क्रम देवोंके वर्ग
१५६
वरांगकी चारित्रप्राप्ति १२८ देवियां
१५७
राजकुमारका संयत जीवन देवोंकी आयु
पुत्रानुराग १२९ दशम सग
१६०-१७४
युवराज्याभिषेक प्रस्ताव मोक्षकी स्थिति
" सज्जा मोक्षका माहात्म्य
राज्याभिषेक तथा अधिकारार्पण १३० मोक्षगामी
१६२
राजावरांग मोक्षसाधक तप
सौतेले भाइयोंका मत्सर १९३ कर्मक्षय क्रम
१६४ , मुक्त जीवका ऊर्ध्व गमन
द्वादश सर्ग १९५-२१५ १३४ समुद्धात
१६६ राजमाताकी प्रसन्नता
। सप्तम सर्ग
भोगभूमियां
भोगभूमिकी भूमि बराङ्ग
" का जलवायु चरितम्
" की समता कल्पवृक्ष भोगभूमिके कारण पात्रापात्र दाता का स्वरूप पात्र-दानभेद कन्यादान विमर्ष दान कथा दान परिपाक पात्रापात्र फल पाणिपात्र जन्मादिक्रम भोगभूमियोंके शरीरादि
, की आयु
, ,, विशेषताएँ अष्टम सर्ग कर्म भूमियोंके नाम-संख्या कर्मभूमिजोंके प्रधान भेद आर्य-अनार्य भोजवंश मनुष्यगतिकी उत्कृष्टता मनुष्यकी भ्रान्ति धर्माचरणकी प्रधानता
में परिग्रहको पापमूलता Jain Education international
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१६३
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