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एकादशः
वराङ्ग चरितम्
सर्गः
केनाभिषिक्तः करिरावनेषु तत्तल्यरूपास्त्वितरे गजाश्च । वन्या गजास्तेऽपि वशानुगाश्चेत्कथं न वश्यः परपोषजीवी ॥ ७९ ॥ न शक्यतेऽर्कः स्थगितुं करेण नासूयता नश्यति या परस्त्रीः । अपुण्यवदिभः कृतपूर्वपुण्याः संसेवनोया इति लोकसिद्धम् ।। ८० ॥ अथेतरे मानमदान्धनेत्रा भृशं स्वरोषस्फुरिताधरोष्ठाः । सगद्गदासक्तनिधृष्टवाक्या नृपात्मजोक्ताश्चुकुपुस्तदानीम् ॥ ८१ ॥ राजात्मजा कि न भवाम सर्वे कि मातरोऽन्येनमता: कुलीनाः । कि शौर्यवीर्यधुतिधैर्यहीनाः किं वाथ लोके व्यवहारबाह्याः ॥ २ ॥ स किं विसोढुयुवराज्यभारं स्थितेषु चास्मासु विगृह्य सक्तः ।। सुवर्णसारो निकषोपलेन भविष्यति व्यक्तिर'वश्यमाशु ।। ८३॥
न्यमानामामामा-मामाया
हाथियोंके राजाको जंगल में मब हाथियों का (गजराज) मुखिया कौन बनाता है उसका कोई अभिषेक नहीं होता है । तथा दूसरे अनुचर हाथी भी रूप, आकार आदिमें उसके ही समान होते हैं। अपने आप अपना भरणपोषण करनेवाले जंगली हाथो भी यदि कारणान्तरसे दूसरोंके वशमें हो जाते हैं तो दुसरेकी कृपाकर पलापूषा व्यक्ति क्यों अपने पालकका अनुगामी न होगा? आप लोग विवेकसे काम लें।। ७८-७९ ।।
क्या सूर्यका प्रकाश हाथको आडसे रोका जा सकता है? तथा दूसरे को सम्पत्ति ईर्षा करनेसे नष्ट नही होता है । यह संसारका सुविख्यात नियम है कि विशेष पुण्याधिकारी पुरुषों की सेवा और भक्ति उन लोगोंको करना ही चाहिये जिन्होंने पूर्वजन्ममें कोई पुण्यकर्म नहीं किया है ।। ८० ॥
वहाँपर कुछ ऐसे भी व्यक्ति थे जिनको विवेकरूपो आँखें अहंकाररूपी मद ( नशे ) के कारण मुंद गयी थी। यही , कारण था कि योग्य राजपुत्रोंके पूर्वोक्त वचनोंको सुनकर वे उस समय अत्यन्त कति हो उठे थे। उनका क्रोध इतवा बढ़ गया था कि उनके ओठ फड़कने लगे थे, गला रुध भारी हो गया था तो भी वे कुत्सित और अश्लोल वाक्य बक रहे थे ।।८१||
क्या हम लोग राजाके पुत्र नहीं हैं, क्या हमारी माताका कूल (जाति) शुद्ध नहीं है, हम लोग पराक्रम, बाहुबल, तेज, कान्ति, धैर्य आदि किस गुणमें वरांगसे कम हैं ? ऐसी कौन-सी लौकिक व्यवस्था अथवा व्यवहार है जिसे हम लोग नहीं समझते हैं ।। ८२ ॥
[१९३ ] मत्सरी पुरुष-कर्म क्या आपका विशेष पुण्याधिकारी राजकूमार हम लोगोंके होते हए भो युद्ध करके युवराज पदको धारण कर सकता
१.क परमोपजीवी। २. [ नासूयया ] | ३. [ परश्रीः]। ४. [ मातरो नो न मताः । ५. [ शक्तः ]। ६. [ व्यक्तम° ] | _Jain Education intemation २५
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PEDIमामा-भान्सामन्याशाचानाबाद
माचा
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