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________________ गोशालकः एक अस्वीकृत तीर्थकर कारण भी स्पष्ट है। सब कारण राजनैतिक हैं। बौद्ध शास्त्रों में महावीर तो प्रतिष्ठित थे। तीस साल फासला था। इस प्रतिष्ठित सम्मानपूर्वक उल्लेख है, क्योंकि बौद्ध शास्त्रों का असली संघर्ष आदमी को झगड़े अपने समय के प्रतिष्ठित लोगों से रहे महावीर से है। | होंगे-बुद्ध तो अभी उठ ही रहे थे। बुद्ध की महिमा तो बाद में गोशालक तो मर चका। अब बद्ध और महावीर के बीच तीस सिद्ध हई. जब महावीर जा चके। साल का अंतर है। गोशालक महावीर से उम्र में बड़ा था। लेकिन एक बात सदा स्मरण रखना कि महावीर ने ऐसा कहा इसलिए जब महावीर जवान रहे होंगे और उनके विचार का हो, इसकी कम संभावना है। बुद्ध ने ऐसा मजाक उड़ाया हो प्रभाव फैल रहा होगा, उस समय तक गोशालक की प्रतिष्ठा हो महावीर का, इसकी भी कम संभावना है। ये तो अनुयायियों के चुकी थी। इसलिए महावीर का संघर्ष तो प्रतिष्ठित गोशालक से | द्वारा डाले गए शब्द हैं उनके मुंह में। और शास्त्र बहुत बाद में रहा। प्रतिष्ठित से संघर्ष होता है। | लिखे गए। महावीर ने एक शब्द भी बुद्ध के खिलाफ नहीं बोला। वे बूढ़े | बुद्ध के मरने के पांच सौ साल बाद शास्त्र लिखे गए। महावीर थे। जब बुद्ध की प्रतिष्ठा आनी शुरू हुई तब तक महावीर तो पूरी | के मरने के चार सौ साल बाद शास्त्र लिखे गए। चार सौ साल तरह लोकमान्य हो चुके थे। उन्होंने एक शब्द बुद्ध के खिलाफ | तक अनुयायियों के मस्तिष्क में रहे शास्त्र। उनकी स्मृति में रहे। नहीं बोला। लेकिन महावीर के अनुयायी उल्लेख करते | उन्होंने खूब कांट-छांट की होगी। हैं—ऐसा उल्लेख करते हैं कि गोशालक के संबंध में महावीर ने | जैनों का ही एक वर्ग-दिगंबर-मानता है कि सब जैन बड़ा विरोध किया है। शास्त्र झूठे हैं। क्योंकि चार सौ साल में सब गड़बड़ हो गया। बौद्ध ग्रंथों में महावीर का विरोध है। और निश्चित ही जब जिन्होंने याद रखा, उन्होंने अपना हिसाब जोड़ दिया। और ऐसा महावीर का विरोध है तो अपने शत्रु का शत्रु अपना मित्र हो जाता सच मालूम होता है। कुछ बातें महावीर की रह गई होंगी, कुछ है। तो गोशालक का सम्मानपूर्वक उल्लेख है। महावीर के जुड़ गई होंगी, कुछ छूट गई होंगी। संबंध में तो बहुत मजाक बौद्ध शास्त्रों में है। | इसलिए मैंने जब महावीर के सत्रों पर बोलना शरू किया तो मैं बौद्ध शास्त्र कहते हैं, एक हैं सर्वज्ञ—एक ही थे सर्वज्ञ का सभी सूत्रों पर नहीं बोल रहा हूं। मैंने वे सब सूत्र अलग कर दिए दावा करनेवाले—एक हैं सर्वज्ञ; वे कहते हैं, उन्हें तीनों काल हैं जो महावीर के योग्य नहीं हैं। छोड़ ही दिए मैंने। वे महावीर के का पता है। भविष्य, वर्तमान, अतीत, सब उन्हें मालूम है। लिए अयोग्य हैं। तीनों लोक उन्हें मालूम हैं, लेकिन ऐसी घड़ियां रही हैं कि सुबह | गोशालक को गाली महावीर ने दी हो, यह बात ही अशोभन के अंधेरे में कुत्ते की पूंछ पर पैर पड़ गया। जब कुत्ता भौंका तब है। इसलिए छोड़ ही दी, वह बात ही नहीं उठाई है। कोई कह सर्वज्ञ को पता चला कि अरे! यहां कुत्ता सो रहा है। तीनों लोक | सकता है कि मैं महावीर के साथ ज्यादती कर रहा हूं। सब सूत्रों के ज्ञाता हैं!' पर नहीं बोल रहा हूं। मैंने चुन लिए हैं। 'कभी ऐसा भी हुआ है कि ऐसे दरवाजे पर भीख मांगने खड़े लेकिन मैं कहता हूं, कि मैं ज्यादती नहीं कर रहा हूं। ज्यादती हो गए जहां कोई रहता ही नहीं। जब लोगों ने, पास-पड़ोसियों ने पहले बहुत हो चुकी। मैं गलत को छोड़े दे रहा हूं। जो मुझे कहा, यहां क्या खड़े हैं ? इस घर में कोई रहता नहीं; तब पता लगता है कि महावीर जैसी चेतना को उपलब्ध व्यक्ति के मुंह में चला। तीनों काल का ऐसे उन्हें पता है, और यह भी पता नहीं कि शोभा नहीं देगा, वह मैं छोड़ देता हूं। गोशालक के संबंध में जैन सामने घर में कोई रहता है कि नहीं रहता? वहां भीख मांगने | शास्त्र क्या कहते हैं, सुनकर तुम हैरान होओगे। जैन शास्त्र निंदा, गर्हित निंदा से भरे हैं। और निंदा भी सज्जन, सांस्कृतिक ऐसे बहुत मजाक बौद्ध शास्त्रों में महावीर के लिए हैं। लेकिन चेतना की नहीं है—अत्यंत ओछी, गंदी। गोशालक का कोई विरोध नहीं है। गोशालक का तो सम्मान से एक उल्लेख खयाल में रखने जैसा है। जैन शास्त्र कहते हैं कि उल्लेख है। जैन शास्त्रों में बुद्ध का कोई विरोध नहीं है, क्योंकि जब गोशालक मरा तो मरते वक्त उसे समझ में आया कि मैंने 399 ___Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001819
Book TitleJina Sutra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1993
Total Pages668
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Sermon
File Size25 MB
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