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________________ प हला प्रश्नः हम संन्यास लेते हैं और साधना करते और भी हंसे। उन्होंने कहा तू पागल हो गयी है। दो पैसों में कहीं हैं, हम संन्यास नहीं लेते और साधना करते चर्च बना है? उसने कहा वह तो मुझे भी मालुम है। लेकिन मैं हैं—दोनों हालत में आपके मार्ग का अनुसरण अकेली नहीं हूं; परमात्मा भी मेरे साथ है। दो पैसे और थैरेसा तो करते हैं। कृपया बताएं कि संन्यास से जीवन में विशेष फर्क ना-कुछ है; लेकिन दो पैसे + परमात्मा बहुत कुछ है। और क्या क्या आता है? चाहिए! जिस जगह उसने खड़े होकर यह बात कही थी, आज दुनिया संन्यास लिये बिना फर्क को जानने का कोई उपाय नहीं। का सबसे सुंदर चर्च है। बना—किसी गहरे समर्पण से बना; संन्यास स्वाद है। संन्यास है स्वाद मेरे निकट आने का।। संपत्ति से नहीं बना। यह बात कि थैरेसा अकेली नहीं है। दो पैसे संन्यास साहस है समर्पण का। हैं थैरेसा के पास, लेकिन परमात्मा भी है। साधना तुम करते हो; लेकिन संन्यासी अकेला नहीं है, तुम तुम जब साधना कर रहे हो मेरी बात सुनकर, तो तुम चुनाव अकेले हो। तुम भी साधना करते हो, संन्यासी भी साधना करता कर रहे हो—जो तुम्हें लगता है ठीक-वह तुम करते हो; जो है। संन्यासी मेरे साथ है, तम मेरे साथ नहीं। | तुम्हें ठीक नहीं लगता वह तुम नहीं करते हो। तो तुम्हारा खयाल मैं तो दोनों के साथ हैं। लेकिन तम साधना करते हो अपने है कि तुम मेरी मानकर चल रहे हो, तम अपनी ही मानकर चल हिसाब से। सुनते हो मुझे, पर चुनते तुम्हीं हो। संन्यासी चुनता रहे हो। भी नहीं। वह एक बार मुझे चुन लेता है। उसने छोड़ दिया। संन्यासी का अर्थ है। उसने कहा, अब हम अपनी न मानेंगे, चुनाव। उसने कहा, बहुत हो गया! आपकी मानेंगे। अब हम चुनना छोड़ते हैं। अब हम राजी हैं मैं तो दोनों के साथ हूं, लेकिन संन्यासी मेरे साथ हो जाता है। जहां ले चलो। संन्यासी का अर्थ है : प्रेम का अंधापन। संन्यासी और इससे बड़ा क्रांतिकारी फर्क पड़ता है। पर वैसा फर्क जानोगे ने कहा कि अब तुम्हारी आंख काफी है, हमारी आंख की कोई तो ही जानोगे। जरूरत नहीं। पर यह तुम न जान सकोगे। जैसे कोई आदमी पूछे एक बड़ी प्रसिद्ध ईसाई महिला हुई-थैरेसा। गरीब भिखारिन कि प्रेमी और गैर-प्रेमी में फर्क क्या है? जिसने स्वाद लिया है थी। और एक दिन उसने अपने गांव में घोषणा की कि मैं जीसस | उसमें, और जिसने स्वाद नहीं लिया है, फर्क क्या है? स्वाद के के लिए एक बड़ा चर्च, एक बड़ा मंदिर बनाना चाहती हूं। लोग बिना जानने का कोई उपाय नहीं है। इसे खयाल में ले लेना। हंसे। लोगों ने पूछा, तेरे पास संपत्ति कितनी है! तो उसने दो पैसे मैं तो साथ हूं, लेकिन तुम जिस दिन मेरे साथ हो जाओगे उस निकालकर अपनी जेब से बताए कि मेरे पास दो पैसे हैं। लोग दिन जीवन में एक क्रांति घटनी शुरू होगी, जिसकी तुम अभी Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrarorg
SR No.001819
Book TitleJina Sutra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1993
Total Pages668
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Sermon
File Size25 MB
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