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कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका
द्वादशवशमाष्टमषष्ठतृतीयद्वितीयनिजवर्गमूलविभक्तजगच्छ्रेणिप्रमितरं ।
-1-1-1-1-1-1 १२११०३८ । ६ । ३ ।२।
मढवीणं सिविहीणो दु सव्वरासी दु ।
पदमावणिम्हि रासी रइयाणं तु णिदिट्ठो ॥ १५४ ॥ अधस्तनषट्पृथ्वीनां राशिविहीनस्तु सर्व्वराशिस्तु । प्रथमावनौ नैरयिकाणां राशिस्तु ५
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निद्दिष्टः ।
अधस्तन वंशादिषट्पृथ्विगळगे पळदारुराशिगळं कूडिया (राशियं साधिकद्वादशमूलभक्तजगच्छ्रेणिप्रमितमं १२१ सामान्यनारकराशियोळकळेदोर्ड - २ - १ घम्र्मेय नारकर प्रमाण
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मक्कु - । मिल्लियपनयनत्रैराशिकमं माडल्पडुगुमदे ते बोर्ड प्र - 1फ १ । इ । १ जगच्छ्रेणियं गुण्य तोरि गुणाकारमप्प घनांगुलद्वितीयमूलदोळों रूप कळेयल्पडुत्तिरलु साधिकद्वादश मूलभक्त - १० प्रमिता भवन्ति ( - २०) वंशाद्यधस्तनपृथ्वीषु नारकाः पुनः यथाक्रमं द्वादशदशमाष्टमषष्ठतृतीयद्वितीयनिजवर्गमूलविभक्तजगच्छ्रेणीमात्राः सन्ति १२ । १० । ८ । ६ । ३ । २ ॥१५३॥
अधस्तनवंशादिषट्पुथ्वी कथितषड्राशीनां संयोगः निजद्वादशमूलभक्त साधिकजगच्छ्रेणिमात्रः १२ । अनेन सामान्यनारकराशिविहीनः तदा धर्मानारकप्रमाणं भवति - २ - १ तदपनयनत्रैराशिक मिदं - प्र-1 फ१ इ १२
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एकजगच्छ्रेण्यपनयने घनाङ्गुल द्वितीयमूलगुणितजगच्छ्रेणिमात्र राशी गुणकारे यद्येकं रूपमपनीयते तदा निजद्वादश- १५ श्रेणीमें भाग देनेपर जो लब्ध आवें, उतने हैं । अर्थात् जगतश्रेणी के बारहवें वर्गमूलसे भाजित जगतश्रेणी प्रमाण दूसरी पृथ्वीके नारकी हैं। जगतश्रेणीके दसवें वर्गमूलसे भाजित जगतश्रेणी प्रमाण तीसरे नरकके नारकी हैं। जगतश्रेणीके आठवें वर्गमूलसे भाजित जगतश्रेणी प्रमाण चतुर्थ पृथ्वीके नारकी हैं। जगतश्रेणी के छठे वर्गमूलसे भाजित जगतश्रेणी प्रमाण पंचम पृथ्वीके नारकी हैं । जगतश्रेणी के तीसरे वर्गमूलसे भाजित जगतश्रेणी प्रमाण छठी पृथ्वीके २० नारकी हैं । और जगतश्रेणीके दूसरे वर्गमूलसे भाजित जगतश्रेणी प्रमाण सातवीं पृथ्वीके नारकी हैं। इस तरह अपने-अपने वर्गमूलका भाग जगतश्रेणीमें देनेसे जो लब्ध आवे, उ उस नरक में नारकी हैं ।। १५३ ॥
नीचे की वंशा आदि छह पृथिवियोंकी ऊपर कही संख्याका जोड़ अपने बारहवें वर्गमूलसे भाजित साधिक जगतश्रेणी प्रमाण है। इस राशिको पहले कही सामान्य २५ नारकियोंकी संख्या में घटानेपर प्रथम नरकके नारकियोंका प्रमाण आता है। इस घटानेका त्रैराशिक इस प्रकार है - सामान्य नारकियोंका प्रमाण लानेके लिए गुण्य जगतश्रेणीका प्रमाण है और गुणाकार घriगुलका द्वितीय वर्गमूल है। इस प्रमाणमें से यदि जगतश्रेणी मात्र
ना हो, तो गुणाकारमेंसे एक घटाना चाहिए। तब जो जगतश्रेणीके बारहवाँ वर्गमूलसे भाजित साधिक जगतश्रेणी मात्र घटाना हो, वो गुणाकार में से कितना घटाना चाहिए । ३० ऐसा त्रैराशिक करनेपर यहाँ प्रमाणराशि जगतश्रेणी है, फलराशि एक, इच्छाराशि जगत
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