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कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका तदनंतरं पूर्वोक्तगुणयोन्युपसंहारपुरस्सरमागि योनिप्रभेदसंख्योद्दिश्यमं पेळ्दपं।
सामण्णेण य एवं णव जोणीओ हवंति वित्थारे ।
लक्खाण चदुरसीदी जोणीओ होंति णियमेण ॥८॥ सामान्येनैवं नवयोनयो भवन्ति विस्तारे। लक्षाणां चतुरशीतिर्योनयो भवन्ति नियमेन ॥
थितुक्तप्रकारदिदं सामान्यदि संक्षेपदिनों भत्तु योनिगळप्पुवु। विस्तरदोळु चतुरशीतिलक्ष- ५ योनिगळप्पुवु नियमदिदं ॥ अनंतरमा योनिगळ विस्तरसंख्याविषयमं तोरल्वैडि मुदण सूत्रावतारं।
णिच्चिदरधादुसत्तय तरुदस वियलिदिएसु छच्चेव ।
सुरणिरयतिरियचउरो चोद्दस मणुए सयसहस्सा ॥८९।। नित्येतरधातुसप्तकं तरु दश विकलेंद्रियेषु षट् चैव । सुरणिरयततिय॑क्चत्वारि मनुष्ये १० चतुर्दशशतसहस्राणि ॥
द्विवृतैव योनिः स्यात् ।।८७।। अथ योनिप्रभेदसंख्योद्देशपुरस्सरमुपसंहारमाह
एवं-उक्तप्रकारेण, सामान्येन-संक्षेपेण, नव योनयो भवन्ति । विस्तरेण तु चतुरशोतिलक्षयोनयो भवन्ति नियमेन ॥८८॥ अथ तासां योनीनां विस्तरसंख्यां दर्शयति
नित्यनिगोदेतरनिगोदपृथिवीकायिकाकायादिकतेजस्कायिकवायुकायिकेषु एतेषु षट्सु अपि स्थानेषु १५ प्रत्येक सप्त-सप्त लक्ष योनयो भवन्ति । (मिलित्वा द्वावत्वारिंशल्लक्षाणि भवन्ति )। तरुषु प्रत्येकवनस्पतिकायिकेषु दशलक्ष योनयो भवन्ति । विकलेन्द्रियरूपद्वित्रिचतुरिन्द्रियेषु प्रत्येकं द्वे-द्वे लक्ष योनयो भवन्ति, (मिलित्वा षट्) । सुरेषु नारकेषु तिर्यग्पञ्चेन्द्रियेषु च प्रत्येकं चतुश्चतुर्लक्ष योनयो भवन्ति । ( मिलित्वा द्वादशलक्षाणि )। मनुष्येषु चतुर्दशलक्षयोनयो भवन्ति । एवं समस्तसंसारिजीवानां योनयः सर्वा मिलित्वा चतुरशीति लक्षसंख्या प्रतिपत्तव्या ।।८९।। अथ गत्याश्रयेण जन्म गाथाद्वयेनाह
२० आगे योनिके प्रभेदोंकी संख्याका निर्देश करते हुए कथनका उपसंहार करते हैं
उक्त प्रकारसे संक्षेपसे नौ योनियाँ होती हैं। विस्तारसे तो चौरासी लाख योनियाँ नियमसे होती हैं ।।८।।
आगे उन योनियोंकी विस्तारसे संख्या कहते हैं__ नित्यनिगोद, इतरनिगोद, पृथ्वीकायिक, अप्कायिक, तेजस्कायिक, वायुकायिक इन २५ छहों स्थानों में से प्रत्येकमें सात-सात लाख योनियाँ होती हैं। सब मिलकर बयालीस लाख होती हैं। तरु अर्थात् प्रत्येक वनस्पतिकायिकोंमें दस लाख योनियाँ होती हैं। विकलेन्द्रिय रूप दोइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चौइन्द्रियों में प्रत्येकमें दो-दो लाख योनियाँ होती हैं। सब मिलकर विकलेन्द्रियोंमें छह लाख योनियाँ होती हैं। देवोंमें, नारकियोंमें और तियंच पंचेन्द्रियों में से प्रत्येकमें चार-चार लाख योनियाँ होती हैं। सब मिलकर बारह लाख योनि होती हैं। ३० मनुष्योंमें चौदह लाख योनियाँ होती हैं। इस प्रकार समस्त संसारी जीवोंकी सब योनियाँ मिलकर चौरासी लाख होती हैं ।।८।।
आगे दो गाथाओंसे गतिके आश्रयसे जन्मका कथन करते हैं
१. म तदनन्तरं योनिप्रभेदसंख्योददेशपर:सरमागियपसंहारमं पेल्दपं ।
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