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________________ कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका १०३ नंतगुणमदं नोडला द्वितीयखंडजघन्यपरिणामविशुद्धियनंतगुणमदं नोडलदरुत्कृष्टपरिणामविशुद्धियनंतगुणमितु तृतीयादिखंडंगळोळ जघन्योत्कृष्टपरिणामविशुद्धिगळुमनंतगुणितक्रमदिदं द्वितीयसमयचरमखंडोत्कृष्टपरिणामविशद्धिपर्यतं नडेवविती मार्गदिदं ततीयादिसमयंगळोळं निवर्गणकांडक द्विचरमसमयपय्यंत जघन्योत्कृष्टपरिणामविशुद्धियनंतगुणक्रमदिदं नडसल्पडुवुदु । निव्वंगंणाकांड कचरमसमयप्रथमखंडजघन्यपरिणामविशुद्धियं नोडलु प्रथमसमयचरमखंडोत्कृष्ट ५ परिणामविशुद्धियनंतगुणमल्लिदत्तलु द्वितीयनिव्वर्गणाकांडक प्रथमसमय प्रथमखंडजघन्यपरिणामविशुद्धियनंतगुणमदं नोडल्तत्प्रथमनिर्वग्गणाकांडकद्वितीयसमयचरमखंडोत्कृष्टपरिणामविशुद्धियनंतगुणमदं नोडलु द्वितीयनिवर्गणाकांडकद्वितीयसमयप्रथमखंडजघन्यपरिणामविशुद्धियनंतगुणमदं नोडलु प्रथमनिर्वर्गणकांडकतृतीयसमयचरमखंडोत्कृष्टपरिणामविशुद्धियनंतगुणमितहितगतिथिदं जघन्यदिदमुत्कृष्टमुत्कृष्टदिदं जघन्यमितनंतगुणितक्रमदिदं परिणामविशुद्धिगळनडेदु १० चरमनिर्वग्गणाकांडकचरमसमयप्रथमखंडजघन्यपरिणाम विशुद्धियनंतानंतगुणमेकंदोडे पूर्वपूवंविशुद्धिगळतणिदमनंतानंतगुणितत्वसिद्धमप्पुरिंदमदं नोडलु चरमनिर्वग्गणकांडकप्रथमसमयचरमखंडोत्कृष्टपरिणामविशुद्धियनंतगुणमदं नोडल्लि मले चरमनिवर्गणकांडकद्वितीयसमयरनन्तगुणा। ततस्तदुत्कृष्टपरिणामविशुद्धिरनन्तगुणा । ततो द्वितीयखण्डजघन्यपरिणामविशुद्धिरनन्तगुणा ततस्तदुत्कृष्ट ४१ परिणामविशुद्धि रनन्तगुणा। एवं तृतीयादिखण्डेष्वपि जघन्योत्कृष्टपरिणामविशुद्धयोऽनन्त- १५ गुणितक्रमेण द्वितीयसमयचरमखण्डोत्कृष्ट परिणामविशद्धिपर्यन्तं गच्छन्ति । अनेन मार्गेण तृतीयादिसमयेष्वपि निर्वर्गणकाण्डकद्विचरमसमयपर्यन्तं जघन्योत्कृष्टपरिणामविशद्धयोऽनन्तगणितक्रमेण नेतव्याः । निर्वर्गणकाण्डकचरमसमयप्रथमखण्डजघन्यपरिणामविश द्धितः प्रथमसमयचरमखण्डोत्कृष्टपरिणामविशुद्धिरनन्तगुणा। ततो द्वितीयनिर्वर्गणाकाण्डकप्रथमसमयप्रथमखण्ड जघन्यपरिणामविशुद्धिरनन्तगुणा । ततस्तत्प्रथमनिर्वर्गणकाण्डकद्वितीयसमयचरमखण्डोत्कृष्टपरिणामविशुद्धिरनन्तगुणा । ततो द्वितीयनिर्वर्गणकाण्डकद्वितीयसमयप्रथमखण्डजघन्य- २० परिणामविशुद्धिरनन्तगुणा। ततः प्रथमनिर्वर्गणकाण्डकतृतीयसमयचरमखण्डोत्कृष्टपरिणामविशुद्धिरनन्तगुणा उत्कृष्ट परिणामकी विशुद्धता अनन्तगुनी है। इसी तरह क्रमसे तृतीय आदि खण्डोंमें भी जघन्य और उत्कृष्ट परिणामोंकी विशुद्धता अनन्तगुणी अनन्तगुणी अन्तके खण्डकी उत्कृष्ट परिणाम विशुद्धता पर्यन्त होती है। तथा प्रथम समय सम्बन्धी प्रथम खण्डकी उत्कृष्ट परिणाम विशुद्धतासे द्वितीय समयके प्रथम खण्डकी जघन्य परिणाम विशुद्धता अनन्तगुणी २५ है। उससे उसीकी उत्कृष्ट परिणाम विशुद्धता अनन्तगनी है। उससे द्वितीय खण्डकी जघन्य परिणाम विशुद्धता अनन्तगुनी है। उससे उसकी ही उत्कृष्ट विशुद्धता अनन्तगुनी है। इस प्रकार तृतीय आदि खण्डोंमें भी जघन्य उत्कृष्ट परिणाम विशुद्धता अनुक्रमसे द्वितीय समयके अन्तिम खण्डकी उत्कृष्ट परिणाम विशुद्धतापर्यन्त अनन्तगुणी प्राप्त होती है। इसी तरहसे तृतीय आदि समयके खण्डोंमें भी निवर्गणकाण्डके द्विचरम समय पर्यन्त जघन्य उत्कृष्ट परिणाम विशुद्धता अनुक्रमसे अनन्तगुणी लाना चाहिए। तथा निर्वगणाकाण्डकके अन्तिम समय सम्बन्धी प्रथम खण्डकी जघन्य परिणाम विशुद्धतासे प्रथम समयके अन्तिम खण्डकी उत्कृष्ट परिणाम विशुद्धता अनन्तगुणी है। उससे दूसरे निर्वगणकाण्डकके प्रथम समय सम्बन्धी प्रथम खण्डकी जघन्य परिणाम विशुद्धता अनन्तगुनी है । उससे उस प्रथम निर्वर्गणकाण्डकके द्वितीय समय सम्बन्धी अन्तके खण्डकी उत्कृष्ट परिणाम विशुद्धता अनन्तगुनी है। ३५ उससे द्वितीय निर्वर्गण काण्डकके द्वितीय समय सम्बन्धी प्रथम खण्डकी जघन्य परिणाम ' विशुद्धता अनन्तगुनी है। उससे प्रथम निर्वगणकाण्डकके तृतीय समय सम्बन्धी उत्कृष्ट . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001816
Book TitleGommatasara Jiva kanda Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages564
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Karma
File Size13 MB
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