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________________ धवलासहित समग्रषट्खंडागमस्य पारिभाषिक-शब्द-सूची ( २४ १२.२८५ कारक कर्मप्रक्रम १५.१५ | कलश १३.२ ७ कायोत्सर्ग ४.५०,१३.८८ कर्मप्रत्ययविधान १३.३८ | कलह कर्मप्रवाद १.१२१,९.२२२ कला ६.६३ कारण ३.४३,७२, ७.२४७ कर्मबन्ध ४.४७६; १४.४६ ९.२७६ | कामण १.२९२१४.३२२,३२९ कर्मबन्धक ७.४,५ | कलिओज १०.२३; १४.१४७ कार्मणकाय १.२९९ कर्मभागाभागविधान १३.३८ | कलिओजराशि ३.२४९ कार्मणकाययोग १.२९५ कर्मभावविधान १३.३८ कलिंग १३ ३३५ कार्मणकाययोगी ८.२३२ कर्मभूमि ४.१४,१९९; १३.५६ काणकार्मणशरीरबन्ध ६.२४५ | कषाय १.१४१; ४.३९१; १४.४४१ कर्मभूमिप्रतिभाग ४.२१४; ५.२२३; ६.४०;७.७, कार्मणवर्गणा ४.३३२ ११.८६ ८८२,१९, १३.३५९ कार्मणशरीर ४.२४,१६५; कर्ममोक्ष १६.३३७ कषायउदयस्थान १६.५२७ ६६९, ८.१०; ९.३५) कर्ममंगल १.२६ | कषायनाम १३.३७० १३.३०; १४.७८,३२८,३२९ कर्मवर्गणा १४.५२ कषायनामकर्म ६.७५ कार्मणशरीरबन्धस्पर्श १३.३० कर्मवेदना १०.७ | कषायप्रत्यय ८.२१,२५ कार्मणशरीरबन्धन ६.७० कर्मसंन्निकर्षविधान १३.२८ | कषायवेदनीय १३.३५९,३६० कार्मणशरीरबन्धननाम कर्मस्थिति ४.३९०,४०२, | कषायसमुद्घात ४.२६,१६६; १३.३६७ ४०७;७.१४५ ७.२९९ कार्मणशरीरसंघात ६.७० कर्मस्थितिअनुयोग ९.२३६ | | कषायोपशामना १०.६९४ कार्मणशरीरसंघातनाम १३.३६७ कर्मस्थितिकाल ४.३२२ काकजघन्य ११.८५ कर्मस्पर्श | काल ४.३१८,३२१, १३.९१, १३३,४,५ | काकलेश्या ११.१९। ३०८,३०९, १४.३६ कर्मास्रव ४.४७७ | काण्डक कालउपक्रप १५.४१ कर्मसंक्रम १६.३३९ / काण्डकघात ६.२३५ कालगतसमान कर्मानयोग काण्डर्जुगति ४.७८,२१९ कालगत उत्कृष्ट ११.१३ कर्वट ७.६,१३.३३५ कापिष्ठ ४.२३५ कालद्रव्य ३.३; १०.४३६; कर्वटविनाश १३.३३२,३३५, | कापोतलेश्या १.२८९; ७. १३.४३,१५.३३ ३४१ | १०४;८.३२०,३३२; १६. कालद्रव्यानुभाग १३.३४९ कल १३.३४६,३४९ ४८४,४८८,४९१ कालनिबन्धन कल्प ४.३२०; १२.२०९ | कामरूपित्व ९.७६ कालपरिवर्तन ४.३८५ कल्पकाल ३.१३१,३५९ | काय १.१३८,३०८७.६ कालपरिवर्तनकाल ४.३३४ कल्पवासिदेव ४.२३८ | कायक्लेश १३५८ कालपरिवर्तनवार ४.३३४ कल्पवृक्ष ८.९२ | कायप्रयोग १३.४४ कालभावप्रमाण ३.३९ कल्प्यव्यवहार १.९८; ९.१९० कायबली कालप्रक्रम कल्प्याकल्प्य १.९८९.१९० काययोग १.२७९,३०८%; कालमंगल १-२१ कल्याणनामध्येय १.१२१; | ४.३९१७.७८; १०.४३८ कालयवमध्य १०-९८% ९.२२३ | कायस्थितिकाल ४.३२२ | १२-२१२ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org ४.४३५ Jain Education International
SR No.001815
Book TitleShatkhandagama Pustak 16
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1995
Total Pages348
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size8 MB
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