SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 313
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २५) परिशिष्ट कालयुति १३-३४९ | कटस्थानादि ७-७३ | केवलज्ञान १-९५,१९१, काललब्धि ६-२५०,९-१२१ कृत १३-३४६,३५० ३५९,३६०,३८५; कालवर्गणा १४-५२ कृतकृत्य ६-२४७,२६२; ४-३९१, ६-२९,३३,४८९, कालस्पर्शन ४-१४१ ४९२; १०-३१९; १३-२१२, कालसंप्रयुक्त १३-३३२ कृतकृत्यकाल ६-२६३,२६४ २४५; १४-१७ कालसंक्रम १६-३३९,३४० कतकरणीय ५-१४,१५,१६, केवलज्ञानावरणीय १३-२८९, कालसंयोग ९-१३७ ९९,१०५,१३९,२३३, कालसंसार ४-३३३ ७-१८१, १०-३१५; केवलज्ञानी ७-८८;८-२९६, कालाणु ४-३१५,१३-११ १५-२५३ ९-११८ कालानुगम ४-३१३,३२२; / कतकरणीयवेदकसम्यग्दृष्टि । ६-४३८,४४१ केवलदर्शन १-३८१, ४-३९१; १३-१०७ कालानुयोग ६-३३,३४; १०-३१९, १-१५८ | कृतयुग्म ४-१८४;७-२५६; कालोदकसमुद्र १०-२२; १४-१४७ १३-३५५,१४-१७ ४-१५०, १९४,१९५ | कृतयुग्मराशि ३-२४९ | केवलदर्शनी ७-९८,१०३; काशी ४-२३२,८-२ १३-३३५ ८-३१२, ९-११८ काष्ठ कर्म ९-२४९; १३-९, ९-१३४,२३२,२३७, केवललब्धि ९-११३ ४१,२०२ २७४,३२६,३५९ | केवलिसमुद्घात ४-२८; ६काष्ठपोतलेप्यकर्मादि ७-३ | कृतिकर्म -९७, ९-६१, ४१२;७-३०० काष्ठा ४-३१७,६-७५३ ८६,१८९ | केवली ६-२४६, ७-५, किनर ९-५४ १०-३१९ किंपुरुष १३-३९१ | कृतिवेदनादिक ७-१ | केशत्व ६-४.९,४९२१ कीर १३-२२३ | कृष्टि ६-३१३; १०-३२४, कीलकशरीरसंहनन ६-७४ | ३२५; १३-८५ कोटाकोटी ३.२५५,४-१५२ कीलितसंहनन ८-१०,१३ १६-५२१,५७९ कोटि १३-३१५ ३६९,३७० कष्टि अन्तर ६-३७६ कोटी ४-१४ कुट्टिकार ९-२७६ | कृष्टिकरणद्धा ६-३७४,३८२ | कोष्ठबुद्धि ९-५३,५४ कुडव १३-५६ कृष्टिवेदकाद्धा ६-३७४,३८४ | कोष्ठा १३-२४३ १४-४० कृष्टिकरण ४-३९१ | क्रमवृद्धि १०-४५२ कुण्डलपर्वत ४-१९३ | कृष्ण ६-२४७ | क्रमहानि १०-४५२ कुब्जकशरीरसंस्थान ६-७१ | कष्णनीलकापोततेजपद्म। क्रिया १-१८; १३-८३ कुब्जकशरीरसंस्थाननाम शक्ललेश्या १४-११ | क्रियाकर्म १३-३८,८८ १३-३६८ कृष्णलेश्या १-३८८; ७-९०४; क्रियावाददृष्टि ९-२०३ कुभाषा १३-२२२ ८-३२०१६-४८४, कुरु क्रियाविशाल१-१२२; ९-२२४ ४८८,४९० १३-२२२ | कृष्णवर्णनाम १३-३७० क्रोध १.३५०,६.४१; १२.२८३ १३-६३ कृष्णवर्णनामकर्म ६-७४ क्रोधकषाय १.३४९,७.८२ ९-७७ क्रोधकषायाद्धा ४.४४४ कृष्णादिमिथ्यात्वकाल ४.३२४ कुलशैल ४-१९३,२१८ | केवल ८-२६४ धमानमायालोभभाव कूट १३-५,३४; १४-४९५ केवलकाल ९ -१२० | १४.११ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org कुरुक कुलविद्या
SR No.001815
Book TitleShatkhandagama Pustak 16
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1995
Total Pages348
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy