________________
४८२ )
छक्खंडागमे संतकम्म
उवलंभादो । अत्थि असंखे० गुणवड्ढि-हाणि-अवट्ठाण-अवत्तव्वसंकमा । सादस्त अत्थि असंखे. भागवड्ढिअसंखे० भागहाणि-अवत्तव्वसंकमा । सेसाणि पदाणि णत्थि । असादस्स असंखे० भागवड्ढि-असंखे० भागहाणि-असंखे० गुणवड्ढी-असंखे० गुणहाणि-अवत्तव्वसंकमा अत्थि । सेसपदागि: णत्थि । मिच्छत्तस्स असंखे० भागवड्ढि--हाणि--असंखेज्जगुणवड्ढि--असंखे० गुणहाणि-अवट्ठाण-अवत्तव्वसंकमा अस्थि । सेसाणि पदाणि णत्थि । सम्मामिच्छत्तस्स अस्थि असंखे० भागवढि-हाणिअसंखे० गुणवड्ढि-असंखे० गुणहाणि-अवत्तव्वसंकमा । सेसाणि पदाणि णत्थि । सम्मत्तस्स असंखे० भागहाणि-असंखे० गुणवड्ढि-हाणि-अवत्तव्वसंकमा अस्थि । सेसपदाणि णत्थि । अणंताणुबंधीणं अत्थि असंखे० भागवड्ढि-असंखे० भागहाणिसंखे० भागवड्ढि-संखे० गुणवड्ढि-असंखे० गुणवड्ढि-असंखे० गुणहाणि-अवट्ठाणअवत्तव्वसंकमा । सेसाणि पदाणि णत्थि । अण्णं कसायाणं अत्थि असंखे० भागवड्ढि-असंखे० भागहाणि-असंखे० गुणवड्ढि-असंखे० गुणहाणि-अवट्ठाण-अवत्तव्वसंकमा । सेसपदाणि णत्यि । तिण्णं संजलणाणं अत्थि असंखे० भागवड्ढि-असंखे० भागहाणि-संखे० भागवड्ढि-संखे० भागहाणि-संखे० गुणवड्ढि-संखे० गुणहाणि-असंखे० गुणवड्ढि-असंखे० गुणहाणि-अवठ्ठाण-अवत्तव्वसंकमा। लोभसंजलणाए अत्थि असंखे० भागवड्ढि-असंखे० भागहाणि-अवट्ठाण-अवत्तव्वसंकमा । सेसाणि पदाणि पत्थि ।
जाता है। उनके असंख्यातगुणवृद्धि, असंख्यातगुणहानि, अवस्थान और अवक्तव्य संक्रम हैं ।
सातावेदनीयके असंख्यातभागवद्धि, असंख्यातभागहानि और अवक्तव्य संक्रम हैं । शेष पद नहीं हैं । असातावेदनीयके असंख्यातभागवृद्धि, असंख्यातभागहानि, असंख्यातगुणवृद्धि' असंख्यातगुणहानि और अवक्तव्य संक्रम है। उसके शेष पद नहीं हैं। मिथ्यात्वके असंख्यातभागवृद्धि, असंख्यातभागहानि, असंख्यातगुणवृद्धि, असंख्यातगुणहानि, अवस्थान और अवक्तव्य संक्रम हैं । शेष पद नहीं हैं। सम्यग्मिथ्यात्वके असंख्यातभागवृद्धि, असंख्यातभागहानि, असंख्यातगुणवृद्धि, असंख्यातगुणहानि और अवक्तव्य संक्रम हैं। शेष पद नहीं हैं। सम्यक्त्व प्रकृतिके असंख्यातभागहानि, असंख्यातगुणवृद्धि, असंख्यातगुणहानि और अवक्तव्य संक्रम हैं। शेष पद नहीं हैं।
अनन्तानुबन्धी क्रोधादिकोंके असंख्यातभागवृद्धि, असंख्यातभागहानि, संख्यातभागवृद्धि, संख्यातगुणवृद्धि, असंख्यातगुणवृद्धि, असंख्यातगुणहानि, अवस्थान और अवक्तव्य संक्रम हैं । शेष पद नहीं हैं । आठ कषायोंके असंख्यातभागवृद्धि, असंख्यातभागहानि, असंख्यातगुणवृद्धि। असंख्यातगुणहानि, अवस्थान और अवक्तव्य संक्रम हैं। शेष पद नहीं हैं । तीन संज्वलन कषायोंके असंख्यातगुणवृद्धि, असंख्यातभागहानि, संख्यातभागवृद्धि, संख्यातभागहानि, संख्यातगुणवृद्धि, संख्यातगुणहानि, असंख्यातगुणवृद्धि, असंख्यातगणहानि, अवस्थान और अवक्तव्य संक्रमपद हैं । संज्वलन लोभके असंख्यातभागवृद्धि, असंख्यातभागहानि, अवस्थान और
४ अप्रतौ 'विसेसपदाणि', काप्रती त्रुटितोऽत्र पाठः, 'तापती ( वि ) सेसपदाणि' इति पाठः ।
ताप्रतौ ' अवत्तव्व-अवठाणसंकपा' इति पाट:।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org