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________________ २६८ ) छक्खंडागमे संतकम्म हाणी तस्स णिरयाउअस्स पदेसउदीरणाए उक्क० हाणी । उक्कस्समवट्ठाणं कस्स? णेरइयस्स उक्कस्सियं हाणि कादूण अवट्ठियस्स । तिरिक्खाउअस्स उक्क० पदेसवड्ढी कस्स ? जस्स तिरिक्खस्स अणुभागुदीरणाए असादोदयवड्ढी उक्कस्सिया तस्स तिरिक्खस्स तिरिक्खाउअस्सप पदेसउदीरणाए. उक्क० वड्ढी । उक्क०हाणी कस्स? जस्स तिरिक्खस्स अणुभागउदीरणाए असादोदयहाणी उक्क० तस्स उक्क० पदेसहाणी । उक्कस्सअवट्ठाणं कस्स ? जस्स तिरिक्खस्स अणुभागउदीरणाए असादोदयस्स उक्कस्समवटाणं तस्स तिरिक्खाउअस्स पदेसउदीरणाए उक्कस्समवट्ठाणं । मणुसाउअस्स तिरिक्खाउअभंगो । णवरि मणुस्सेसु वत्तव्वं । देवाउअस्स उक्कस्सिया वड्ढी कस्स? जस्स देवस्स अणुभागुदीरणाए असादोदयवड्ढी उक्क० तस्स पदेसउदीरणाए देवाउअस्स उक्क० वड्ढी । उक्क० हाणी कस्स? जस्स देवस्स अणुभागुदीरणाए असादोदयहाणी उक्कस्सिया तस्स पदेसउदीरणाए देवाउअस्स उक्क० हाणी । उक्कस्समवट्ठाणं । कस्स ? जस्स देवस्स अणुभागुदीरणाए असादोदयस्स उवकस्समवट्ठाणं तस्स देवाउअपदेसउदीरणाए उक्कस्समवट्ठाणं । उदीरणामें उत्कृष्ट हानि होती है उसके नारकायकी प्रदेशउदीरणाकी उत्कृष्ट हानि होती है । उसका उत्कृष्ट अवस्थान किसके होता है ? वह उत्कृष्ट हानिको करके अवस्थानको प्राप्त हुए नारक जीवके होता है। तिर्यंचआयुकी उत्कृष्ट प्रदेशवृद्धि किसके होती है ? जिस तिर्यंचके अनुभागउदीरणामें असातोदयकी उत्कृष्ट वृद्धि होती है उस तिर्यंचके तिर्यंचआयु सम्बन्धी प्रदेशउदीरणाकी उत्कृष्ट वृद्धि होती है। उसकी उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? जिस तिर्यंचके अनुभागउदीरणाम असातोदयकी उत्कृष्ट हानि होती है उसके तिर्यच आयुकी उत्कृष्ट प्रदेशहानि होती है। उसका उत्कृष्ट अवस्थान किसके होता है ? जिस तिर्यंचके अनुभागउदीरणाम असातोदयका उत्कृष्ट अवस्थान होता है उसके तिर्यंचआयुकी प्रदेशउदीरणाका उत्कृष्ट अवस्थान होता है। मनुष्यायुकी प्ररूपणा तिर्यच आयुके समान है। विशेष इतना है कि मनुष्यायुकी प्रदेशउदीरणाकी वृद्धि आदिका कथन मनुष्योंमें करना चाहिये । देवायुकी उत्कृष्ट वृद्धि किसके होती है ? जिस देवके अनुभाग उदीरणामें असातोदयकी उत्कृष्ट वृद्धि होती है उसके प्रदेश उदीरणामें देवायुकी उत्कृष्ट वृद्धि होती है। उसकी उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? जिस देवके अनुभागउदीरणामें असातोदयकी उत्कृष्ट वृद्धि होती है उसके प्रदेशउदीरणामें देवायुकी उत्कृष्ट हानि होती है। उसका उत्कृष्ट अवस्थान किसके होता है ? जिस देवके अनुभागउदीरणामें असातोदयका उत्कृष्ट अवस्थान होता है उसके देवायुकी प्रदेशउदीरणाका उत्कृष्ट अवस्थान होता है। * अप्रतौ त्रुटितो जातोऽत्र पाठः, का-ताप्रत्योः ' वड्ढी' इति पाठः। 0 अप्रतो 'कस्स तिरिक्खस्स तिरिक्खाउअस्स', काप्रती 'कस्स तिरिक्खाउअस्स' इति पाठः। . अ-काप्रत्यी: 'पदेसउदीरणा' इति पाठः। अ-काप्रत्यो: 'कस्स अवट्ठाणं', तारतौ ' (कस्स) । अवट्ठाणं ' इति पाठः । www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.001814
Book TitleShatkhandagama Pustak 15
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages488
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size12 MB
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