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________________ उवक्कमाणुयोगद्दारे पदेसउदीरणा ( २६७ वड्ढी कस्स? समयाहियावलियचरिमसमयसकसायखवगस्स । एदेसि हाणी कस्स? जो उवसामगो अप्पिदकसायस्स उक्कस्सउदयट्ठाणं पत्तो संतो मदो देवो जादो तस्स पढमसमयदेवस्स उक्क० हाणी। तस्सेव से काले उक्कस्समवट्ठाणं । छण्णोकसायाणमुक्कस्सिया बड्ढी कस्स ? चरिमसमयअपुव्वखवगस्स । हाणी कस्स? तस्सेव उवसामयस्स कालं काढूण देवेसु उववण्णस्स । तस्सेव से काले उक्कस्समवट्ठाणं । णवरि अरदि-सोगाणं पडिवदमाणस्स दुसमयवेदगस्स उक्कस्सिया हाणी। उक्कस्समवट्ठाणं कस्स? अधापमत्तसंजदस्स कदउक्कस्सावट्ठाणस्स । पुरिसवेदस्स संजलणभंगो। इत्थि-णवंसयवेदाणमुक्कस्सिया वड्ढी कस्स? समयाहियावलियचरिमसमयवेदगस्स खवगस्स । उक्क० हाणी कस्स? उवसमसेडीदो पडिवदमाणस्स दुसमयवेदयस्स। अवट्ठाणं कस्स ? सत्थाणसंजदस्स सागारक्खएण उक्कस्समवट्ठाणं गदस्स । णिरयाउअस्स उक्क० वड्ढी कस्स? णिरयगईए जस्स रइयस्स असादोदयस्स अणुभागउदीरणाए उक्कस्सिया वड्ढी तस्सल णिरयाउअस्स पदेसउदीरणाए उक्क० वड्ढी। उक्क० हाणी कस्स? णिरयगईए णेरइयस्स असादोदयस्स अणुभागुउदीरणाए उक्क० उत्कृष्ट वृद्धि किसके होती है ? जिस क्षपकके अन्तिम समयवर्ती सकषाय होने में एक समय अधिक आवली मात्र शेष है उसके उसकी उत्कृष्ट वृद्धि होती है। इन चारोंकी उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? जो उपशामक जीव विवक्षित कषायके उत्कृष्ट उदयस्थानको प्राप्त होता हुआ मृत्युको प्राप्त होकर देव हुआ है उसके देव होने के प्रथम समयममें उनकी उत्कृष्ट हानि होती है। उसी के अनन्तर काल में उनका उत्कृष्ट अवस्थान होता है। ___ छह नोकषायोंकी उत्कृष्ट वृद्धि किसके होती है ? वह अन्तिम समयवर्ती अपूर्वकरण क्षपकके होती है ? उनकी उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? मरणको प्राप्त होकर देवोंमें उत्पन्न हुए उसी अपूर्वकरण उपशामकके उनकी उत्कृष्ट हानि होती है । उसीके अनन्तर कालमें उनका उत्कृष्ट अवस्थान होता है। विशेषता इननी है कि अरति और शोककी उत्कृष्ट हानि श्रेणिसे गिरनेवाले द्वितीय समयवर्ती तद्वेदकके होती है। उत्कृष्ट अवस्थान किसके होता है वह उत्कृष्ट अवस्थानको प्राप्त अधःप्रवृत्तसंयतके होता है। पुरुषवेदकी प्ररूपणा संज्वलन कषायके समान है। स्त्री व नपुंसक वेदकी उत्कृष्ट वृद्धि किसके होती है। जिस क्षपकके उनके अन्तिम समयवर्ती वेदक होने में एक समय अधिक आवली मात्र शेष है उसके उन दो वेदोंकी उत्कृष्ट वृद्धि होती है । उनकी उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? उपशमश्रेणिसे गिरनेवाले द्वितीय समयवर्ती तद्वेदकके उनकी उत्कृष्ट हानि होती है। उनका उकृष्ट अवस्थान किसके होता है ? वह साकार उपयोगके क्षयसे उत्कृष्ट अवस्थानको प्राप्त हुए स्वस्थान संयतके होता है ।। नारकायुकी उत्कृष्ट वृद्धि किसके होती है? नरकगतिमें जिस नारकीके अनुभागउदीरणामें असातोदयकी उत्कृष्ट वृद्धि होती है उसके नारकायुकी प्रदेशउदीरणाकी उत्कृष्ट वृद्धि होती है। उसकी उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? नरकगतिमें जिस नारकीके असातावेदनीयकी अनुभाग D काप्रतौ 'कस्स' इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001814
Book TitleShatkhandagama Pustak 15
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages488
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size12 MB
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