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उवक्कमाणुयोगद्दारे पदेसउदीरणा
' ( २६५ हाणी। हाइदूण अवट्ठाणं गयस्स उक्कस्समवट्ठाणं । णिहाणिद्दा-पयलापयला-थीणगिद्धीणं उक्कस्सिया वड्ढी कस्स? जो पमत्तसंजदो तप्पाओग्गजहण्णविसोहीदो तप्पाओग्गउक्कस्सविसोहि * गदो तस्स उक्कस्सिया वड्ढी । उक्क० हाणी कस्स? जो उक्कस्सवितोहीदो सागारक्खएण उक्कस्ससंकिलेसं गदो तस्स उक्कस्सिया हाणी । से काले अवट्ठाणं गयस्स उक्कस्समवट्ठाणं।
सादस्स उक्क० वड्ढी कस्स? जो संजदो चरिमसमयपमतो सव्वविसुद्धो तस्स उक्क० वड्ढी। उक्क० हाणी कस्स? सो चेव चरिमसमयपमत्तो सव्वविसुद्धो मदो देवो जादो तस्स उक्क० हाणी । तस्सेव से काले उक्कस्समवट्ठाणं । असादस्स उक्क० वड्ढी कस्स? जो संजदो चरिमसमयपमत्तो सव्वत्रिसुद्धो तस्स उक्क० वड्ढी । हाणी अवट्टाणं च तस्सेव उक्कस्सविसोहीदो तप्पाओग्गउक्कस्ससंकिलेसं गयस्स । मिच्छत्तस्स उक्क० वड्ढी कस्स? जो मिच्छाइट्ठी से काले संजमं पडिवज्जदि त्ति द्विदो तस्स उक्क० वड्ढी। हाणी अवट्ठाणं च कस्स? जो मिच्छाइट्ठी तप्पाओग्गविसुद्धो
हीन होकर अवस्थानको प्राप्त होता है तब उसके उनका उत्कृष्ट अवस्थान होता है। निद्रानिद्रा, प्रचलाप्रचला और स्त्यानगृद्धिकी उत्कृष्ट वृद्धि किसके होती है ? जो प्रमत्तसंयत तत्प्रायोग्य जघन्य विशुद्धिसे तत्प्रायोग्य उत्कृष्ट विशुद्धिको प्राप्त होता है उसके उनकी उत्कृष्ट वुद्धि होती हैं। उनकी उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? जो उत्कृष्ट विशुद्धिसे साकार उपयोगके क्षयके साथ उत्कृष्ट संक्लेशको प्राप्त होता है उसके उनकी उत्कृष्ट हानि होती है। अनन्नर कालम अवस्थानको प्राप्त होनेपर उसके उनका उत्कृष्ट अवस्थान होता है।
सातावेदनीयकी उत्कृष्ट वृद्धि किसके होती है ? जो अन्तिम समयवर्ती प्रमत्तसंयत जीव सर्वविशद्धिको प्राप्त उसके सातावेदनीयकी उत्कृष्ट वद्धि होती है। उसकी उत्कष्ट हानि किसके होती है ? वही अन्तिम समयवर्ती प्रमत्त सर्वविशुद्ध संयत जीव मरणको प्राप्त होकर जब देव हो जाता है तब उसके उक्त सातावेदनीयकी उत्कष्ट हानि होती है। उसीके अनन्तर कालमें उसका उत्कृष्ट अवस्थान होता है। असातावेदनीयकी उत्कृष्ट वद्धि किसके होती है? जो अन्तिम समयवर्ती प्रमत्त संयत सर्वविशद्धिको प्राप्त है उसके असातावेदनीयकी उत्कष्ट वृद्धि होती है। उत्कृष्ट विशुद्धिसे तत्प्रायोग्य उत्कृष्ट संक्लेशको प्राप्त होनेपर उसीके उसकी हानि व अवस्थान भी होता है ।
मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट वृद्धि किसके होती है ? जो मिथ्यादृष्टि जीव अनन्तर कालमें संयमको प्राप्त होगा, ऐसी स्थितिमें वर्तमान है उसके मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट वृद्धि होती है। उसकी उत्कृष्ट हानि और अवस्थान किसके होता है ? तत्प्रायोग्य विशुद्धिको प्राप्त जो मिथ्यादृष्टि साकार उपयोगके
8 अप्रतौ 'उकस्स हिं' इति पाठः। अप्रतौ 'सागर' इति पाठः । ४ अप्रतौ ' से ..
काले अवदाणं मदो देवो जादो तस्स उक० हाणी तस्सेव से काले उक्कस्समवट्ठाणं' इति पाठः ।
0 अ-काप्रत्योः 'संजदा. (दो)' इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only
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