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________________ areमाणुयोगद्दारे पदेसउदीरणा कारओ सजोगिकेवली । एवमुक्कस्सं सामित्तं समत्तं । एतो जहण्णयं सामित्तं । तं जहा - मदि- सुद-मणपज्जव - केवलणाणावरणचक्खु - अचक्खु - केवल दंसणावरणाणं जहण्णपदेसउदीरओ को होदि ? उक्कस्ससंकिलिट्ठो । ओहिणाणावरण - ओहिदंसणावरणाणं जहण्णपदेसुदीरओ को होदि ? पंचिदियो उक्कस्ससंकिलिट्ठो जस्स ओहिलंभो अत्थि सो जहण्णपदेसउदीरओ । दंसणावरणपंचयस्स जहण्णपदेसउदीरओ को होदि ? सणिपंचिदिओ पज्जत्तो तप्पा ओग्गसंकिलिट्ठो । सादासाद- मिच्छत्त- सोलसकसाय णवणोकसायाणं जहण्णपदेस उदीरओ को होदि ? उक्कस्ससंकिलिट्ठो । सम्मत्तस्स जहण्णपदेसउदीरओ को होदि ? वेदगसम्माइट्ठी असंजदो से काले मिच्छत्तं पडिवज्जंतओ । सम्मामिच्छत्तस्स जहण्णपदेस० को होदि ? सम्मामिच्छाइट्ठी से काले मिच्छत्तं पडिवज्जंतओ । णिरयाउअस्स जहण्णपदेसउदीरओ को होदि ? दसवस्ससहस्साउओ उक्कस्सए सादोदए वट्टमाणओ णेरइयो । तिरिक्खमगुस्सा आणं जहणपदेसउदीरओ को होदि ? जहाकमेण मणुस्स - तिरिक्खा तिपलिदो होते हैं । इस प्रकार उत्कृष्ट स्वामित्व समाप्त हुआ । यहां जघन्य स्वामित्वकी प्ररूपणा की जाती है । वह इस प्रकार है- मतिज्ञानावरण, श्रुत ज्ञानावरण, मन:पर्ययज्ञानावरण, केवलज्ञानावरण, चक्षुदर्शनावरण, अचक्षुदर्शनावरण और केवलदर्शनावरणके जघन्य प्रदेशका उदीरक कौन होता है ? उनके जघन्य प्रदेशका उदीरक उत्कृष्ट संक्लेशको प्राप्त हुआ जीव होता है । अवधिज्ञानावरण और अवधिदर्शनावरणके जघन्य प्रदेशका उदीरक कौन होता है ? जिसके अवधिलब्धि है ऐसा उत्कृष्ट संक्लेशको प्राप्त हुआ जीव उन दो प्रकृतियोंके जघन्य प्रदेशका उदीरक होता है । निद्रा आदि पांच दर्शनावरण प्रकृतियों के जघन्य प्रदेशका उदीरक कौन होता है ? वह तत्प्रायोग्य संक्लेशको प्राप्त हुआ संज्ञी पंचेन्द्रिय पर्याप्त जीव होता है । ( २५७ सातावेदनीय, असातावेदनीय, मिथ्यात्व, सोलह कषाय और नौ नोकषायोंके जघन्य प्रदेशका उदीरक कौन होता है । उत्कृष्ट संक्लेशको प्राप्त हुआ जीव इनके जघन्य प्रदेशका उदीरक होता है । सम्यक्त्व के जघन्य प्रदेशका उदीरक कौन होता है ? अनन्तर कालमे मिथ्यात्वको प्राप्त होनेवाला वेदकसम्यग्दृष्टि असंयत जीव सम्यक्त्वके जघन्य प्रदेशका उदीरक होता है । सम्यग्मिथ्यात्व के जघन्य प्रदेशका उदीरक कौन होता है ? उसका उदोरक अनन्तर कालमें मिथ्यात्वको प्राप्त होनेवाला सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीव होता है । नारकायुके जघन्य प्रदेशका उदीरक कौन होता है ? उसका उदीरक दस हजार वर्षकी आयुवाला व उत्कृष्ट सातोदय में वर्तमान नारक जीव होता है । तिर्यगायु व मनुष्यायुके जघन्य प्रदेशका उदीरक कौन होता है ? तीन पल्योपम प्रमाण आयुस्थितिवाले एवं उत्कृष्ट सातोदय में ताप्रती मणुस्स 'अ-काप्रत्यो: ' उदीरणा ' इति पाठः । अप्रतो' उदीरणा' इति पार: । ( सो ) तिरिक्ख (क्खो ' इति पाठ: । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001814
Book TitleShatkhandagama Pustak 15
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages488
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size12 MB
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