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छक्खंडागमे संतकम्म काले संजमं पडिवजंतस्स । वढि-अवट्ठाणाणि कस्स ? अधापवत्तअसंजदसम्माइट्ठिस्स । पच्चक्खाणावरणकसायाणं जहणिया हाणी कस्स ? संजदासंजदस्स से काले संजमं पडिवज्जंतस्स। वड्ढि-अवटाणाणि कस्स ? अधापवत्तसंजदासंजदस्स। चदुण्णं संजलणाणं जहणिया हाणी कस्स ? कोह-माण-मायाणं खवओ चरिमसमयवेदओ सामी । लोभस्स पुण समयाहियावलियचरिमसमयसकसायस्स खवयस्स जहणिया हाणी । लोभस्स जहणिया वड्ढी कस्स? परिवदमाणस्स दुसमयसुहुमसांपराइयस्स । मायाए जह० वड्ढी कस्स ? परिवदमाणस्स दुसमयमायावेदस्स । माणस्स जह० वड्ढी कस्स ? परिवदमाणस्स दुसमयमाणवेदयस्स । कोधस्स जह० वड्ढी कस्स? परिवदमाणस्स दुसमयकोधवेदयस्स* । चदुण्णं पि संजलणाणं जहण्णभवट्ठाणं कस्स ? अधापवत्तसंजदस्स तप्पाओग्गविसुद्धस्स अणंतभाएण वड्ढिदूण हाइदूण वा अवट्ठियस्स ।
तिण्णं पि वेदाणं जह० हाणी कस्स ? खवयस्स समयाहियावलियचरिमसमयवेदयस्स अप्पिदवेदोदयजुत्तस्स जह० हाणी । जह० वड्ढी कस्स ? अप्पिदवेदोदएण
अनन्तर कालमें संयमको प्राप्त होनेवाला है उसके उनकी जघन्य हानि होती है। उनकी जघन्य वद्धि व अवस्थान किसके होता है ? अधःप्रवत्त असंयत सम्यग्दष्टिके उनकी जघन्य वद्धि और अवस्थान होता है। प्रत्याख्यानावरण कषायोंकी जघन्य हानि किसके होती है? अनन्तर कालमें संयमको प्राप्त करनेवाले संयतासंयत जीवके उनकी जघन्य हानि होती है। उनकी जघन्य वद्धि और अवस्थान किसके होते हैं? वे अधःप्रवत्त संयतासंयतके होते हैं। चार संज्वलन कषायोंकी जघन्य हानि किसके होती है ? उसका स्वामी संज्वलन क्रोध, मान और मायाके क्षपणमें उद्यत उनका अन्तिम समयवर्ती वेदक जीव होता है। परन्तु संज्वलन लोभकी जघन्य हानि, जिस क्षपकके अन्तिम समयवर्ती सकषाय होने में एक समय अधिक आवली मात्र शेष रही है, उसके होती है। संज्वलन लोभकी जघन्य वद्धि किसके होती है ? उपशमश्रेणिसे गिरते हुए द्वितीय समयवर्ती सूक्ष्मसाम्परायिकके उसकी जघन्य वृद्धि होती है। संज्वलन मायाकी जघन्य वृद्धि किसके होती है। वह उपशमश्रेणिसे गिरते हुए द्वितीय समयवर्ती मायावेदकके होती है। संज्वलन मानकी जघन्य वृद्धि किसके होती है ? वह उपशमश्रेणिसे गिरते हुए द्वितीय समयवर्ती मानवेदकके होती है। संज्वलन क्रोधकी जघन्य वृद्धि किसके होती है ? वह उपशमश्रेणिसे गिरते हुए द्वितीय समयवर्ती क्रोधवेदकके होती है। चारों ही संज्वलन कषायोंका जघन्य अवस्थान किसके होता है? वह अनन्तवें भागसे वृद्धि अथवा हानिको प्राप्त होकर अवस्थित हुए तत्प्रायोग्य विशुद्ध अधःप्रवृत्तसंयतके होता है।
तीनों ही वेदोंकी जघन्य हानि किसके होती है ? विवक्षित वेदके उदयसे संयुक्त क्षपकके उसके अन्तिम समयवर्ती वेदक होने में एक समय अधिक आवलीके शेष रहनेपर उनकी जघन्य हानि होती है। उनकी जघन्य वृद्धि किसके होती है। विवक्षित वेदके उदयके साथ श्रेणिसे
४ अ-काप्रत्यो: ' सव्वटुअबढागाणि ' इति पाठः। * अप्रतौ ' कोधवेदएण' इति पाठः । Jain Education International
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